वैज्ञानिक मिलकर गांव गोद लें और प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा दें : राज्यपाल

Edited By Punjab Kesari, Updated: 29 Jan, 2018 08:31 PM

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प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को आंरभ करने की पहल हुई है। इसी कड़ी में पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि केंद्र की आधारशिला रखी गई वहीं प्रदेश में कृषि की इस विधि को अपनाने का निर्णय लिया गया है।

पालमपुर : प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को आंरभ करने की पहल हुई है। इसी कड़ी में पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि केंद्र की आधारशिला रखी गई वहीं प्रदेश में कृषि की इस विधि को अपनाने का निर्णय लिया गया है। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की उपस्थिति में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को किसानों की आॢथकी व आम जनमानस के स्वास्थ के लिए उत्तम बताते हुए कहा कि रासायनिक कृषि के कारण आज किसान आत्महत्या जैसे घातक पग उठाने पर विवश हैं। उन्होंने बताया कि रासायनिक कृषि की लागत इतनी बढ़ गई है, जिस कारण किसान आॢथक बोझ तले दब रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि जैविक कृषि भी किसानों की आॢथकी की दृष्टि से कम घातक नहीं है, क्योंकि इसके लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता रहती है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों व अध्ययनरत छात्रों से आग्रह किया कि 5 लोग मिलकर एक गांव को गोद लें तथा वहां शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा दें। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की उपस्थिति में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि केंद्र परिसर की आधारशिला रखी। वहीं उन्होंने व पशु विकृति अन्वेषण शोध प्रयोगशाला का लोकार्पण भी किया।
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शून्य लागत प्राकृतिक कृषि से किसान लाभान्वित होंगे 
समारोह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को लेकर सरकार गंभीर है तथा इस दिशा में सरकार ने पग उठाते हुए पायलट प्रोजैक्ट आरंभ किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि शून्य लागत प्राकृतिक कृषि से किसान लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि यह कार्य कठिन व जटिल है, परंतु ऐसा नहीं है कि इसे किया नहीं जा सकता है। इस अवसर पर कृषि मंत्री राम लाल मार्कंडेय ने कहा कि प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को पुनर्जीवित करने के लिए विभाग पूरी तरह से प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि एक अध्ययन के अनुसार वर्तमान में 523 मीट्रिक टन कीटनाशकों का उपयोग किसान कर रहे हैं, जो कई प्रकार के असाध्य रोगों का कारण बन रहे हैं। उन्होंने प्रदेश में किसान उत्पादों की बिक्री के लिए ई-मार्कीटिंग प्रणाली को आरंभ करने की बात भी कही। वहीं उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए विभागीय तथा कृषि विश्वविद्यालय स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप का गठन किया जाना चाहिए, ताकि किसानों की समस्याओं का तत्काल समाधान किया जा सके। 

इस अवसर पर ये मंत्री रहे उपस्थित
इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफैसर अशोक सरयाल ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लिए प्रयासरत है। समारोह में खाद्य एवं आपूॢत मंत्री किशन कपूर, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री विपिन सिंह परमार, नगर विकास मंत्री सरवीण चौधरी, उद्योग मंत्री विक्रम सिंह, विधायक रवि धीमान, मुल्खराज प्रेमी, आशीष बुटेल व विक्रम जरयाल भी उपस्थित रहे। 

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