PICS: एक मौत ने जगाया सोया गांव, जो 70 साल में नहीं हुआ लोगों ने 6 महीने में कर दिखाया

Edited By Updated: 25 Feb, 2017 01:59 PM

one death aroused by soya village 70 years not in people 6 months showed

हमीरपुर में एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है जहां ग्रामीणों ने अपने बलबूते पर सड़क सुविधा बनाने की मन में ठान ली और आज 6 महीनों की कड़ी मशक्कत के बाद....

हमीरपुर (अरविंदर सिंह): हमीरपुर में एक ऐसा अनोखा मामला सामने आया है जहां ग्रामीणों ने अपने बलबूते पर सड़क सुविधा बनाने की मन में ठान ली और आज 6 महीनों की कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों के घरों तक सड़क पहुंची है। ग्रामीणों ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि कुछ साल पहले गांव के एक नौजवान की मौत का कारण रास्ता न होना था क्योंकि उसे समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका था जिस कारण ग्रामीणों को यह कदम उठाना पड़ा। दरअसल सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत पड़ने वाले गांव धरगोड बल्ली के बाशिंदों को मूलभूत सुविधाओं की दरकार बनी हुई है। धरगोड बल्ली के दलित गांव के लोगों को मजबूरन अपने पैसे खर्च कर सुविधाएं जुटानी पड़ रही है। क्योंकि राजनेताओं के अलावा जिला प्रशासन के पास जाकर ग्रामीण थक चुके हैं। 


घने जंगल के बीच खतरनाक पहाड़ी को चीर कर बना दी सड़क
गौरतलब है कि राजनीतिक रूप से अनदेखी के शिकार इस गांव के लोगों ने सरकार और पंचायत का भरोसा छोड़ कर खुद ही सड़क बनाने का बीड़ा उठाया तथा कुछ महीनों की अथाह मेहनत के बाद ये लोग सफल भी हुए हैं। घने जंगल के बीच खतरनाक पहाड़ी को चीरना आसान काम नहीं था। गांव के पुरूषों-महिलाओं और यहां तक की बच्चों ने भी सड़क के निर्माण के लिए स्वेच्छा से योगदान दिया और चार पहिया वाहन के लिए सड़क निकाल दी। लेकिन मंजिल अभी भी दूर है। रास्ते में सड़क के निर्माण के लिए छोटी-छोटी पुलियों का भी निर्माण किया जाना है लेकिन दलित बस्ती के इन लोगों के पास इतना धन नहीं है कि वे इस पुलियों का निर्माण कर सकें। इन लोगों की शिकायत है कि जब भी चुनाव होते हैं लोग बड़े-बड़े वायदे कर देते हैं लेकिन चुनावों के बाद कोई इन लोगों की सुध लेने नहीं आता है। 


अगर कुछ साल पहले गावं में सड़क होती तो जिंदा होता नौजवान
बुजुर्ग प्रकाश चंद ने बताया कि आजादी से लेकर अब तक गांव की अनदेखी ही हुई है और गांव में नेता भी केवल वोट मागंने ही आते है बाद में कोई दर्शन नही देता है। उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार व प्रशासन से भी मांग करते हुए थक गए तभी अब खुद ही पैसे इक्ट्ठे करके सड़क बनाई है। कमलजीत की पत्नी आशा ने बताया कि मेरे पति की मौत का कारण भी सड़क न होना बना था क्योंकि अगर कुछ साल पहले गांव में सड़क होती तो पति को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता था। लेकिन अब सभी गांव के लोगों ने खुद श्रमदान करके और पैसे डालकर सड़क बनाई है। 

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