अब आग में नहीं जलेंगे चीड़ के जंगल, इस तकनीक से बचेगी बहुमूल्य वन संपदा और वन्य जीव

Edited By Simpy Khanna, Updated: 24 Dec, 2019 03:06 PM

now the pine forests will not burn in the fire

हिमाचल प्रदेश के जंगलों में चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली पत्तियों (चलारू) से स्मोक लेस कोयला बनकर तैयार हो गया है। कोयला बनाने के लिए सुंदरनगर की ग्राम पंचायत चांबी के एक प्रतिनिधिमंडल ने खाका तैयार कर प्रदेश सरकार को प्रेषित किया है। इसको लेकर अपने...

सुंदरनगर (नितेश सैनी) : हिमाचल प्रदेश के जंगलों में चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली पत्तियों (चलारू) से स्मोक लेस कोयला बनकर तैयार हो गया है। कोयला बनाने के लिए सुंदरनगर की ग्राम पंचायत चांबी के एक प्रतिनिधिमंडल ने खाका तैयार कर प्रदेश सरकार को प्रेषित किया है। इसको लेकर अपने सुंदरनगर दौरे पर पहुंची प्रदेश रेडक्रॉस सोसायटी की अध्यक्ष और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की पत्नी डा. साधना ठाकुर और सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल को संपूर्ण जानकारी और तकनीक को प्रोत्साहन देने के लिए एक रिप्रजेंटेशन भी सौंपी गई। 

उपमंडल सुंदरनगर की ग्राम पंचायत चांबी के गांंव द्रमण निवासी गांव श्रवण कुमार ने अपनी टीम के साथ मिल कर हिमाचल के जंगलो को आग से बचाने के लिए एक नई शुरूआत की है। उन्होंने जंगलो में चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली आफत चलारू से कोयला तैयार कर दिया है। इस कोयले के तैयार होने से हिमाचल प्रदेश के जंगल जलने से बचने के साथ-साथ जंगल की आग से लुप्त हो रही वन व जीव संपदा को बचाने में भी एक संजिवनी की तरह काम आएगी। इसके अलावा इस तकनीक से सरकार और वन विभाग को भी सीधा फायदा होगा। जानकारी देते हुए श्रवण कुमार ने कहा कि उनकी टीम द्वारा चीड़ के पत्तों(चलारू) से स्मोक लेस कोयला तैयार किया गया है।
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उन्होंने कहा कि इसे हम घरेलू ईंधन की कह सकते है जिससे खाना बनाया और पानी गर्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सर्दियो में घर व ऑफिस के कमरों को गर्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस इंधन में सब से बड़ी बात है की इसे बिल्कुल धुंंआ रहित बनाया गया है। इस से किसी भी प्रकार का धुंंआ नहीं निकलेगा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि इस प्रोजेक्ट को मनरेगा के तहत क्रियान्वित किया जाना चाहिए, जिससे हिमाचल प्रदेश के जंगल आग से बच सकेंगे और हर साल आग की वजह से मरने वाले जंगली जानवर भी बच पाएंगें। श्रवण कुमार ने कहा हिमाचल प्रदेश के जंगलों में ज्यादा तर औषधियां हैं जो जगलों के जलने से खत्म होती जा रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से चलारू का उपयोग कर इससे इंधन की खपत को कम करने के साथ-साथ औषधियों से भरे जंगलों को भी बचाया जा सकता है।

कोयला बनाने की विधि

श्रवण कुमार ने कहा कि इस स्मोक लेस कोयले को बनाने के लिए 200 लीटर पानी किसी ड्रम में लेकर उसमें 25 किलो चिलारु डालना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चीड़ की पत्तियों को चिकनी मिट्टी के साथ जलाया जाएगा। इसमें चलारू व मिट्टी की मात्रा मौजूद रहेगी। इसे ढककर आधा जलाया जाएगा। छोटे-छोटे टुकड़े सूखने के बाद कोयले का रूप ले लेते है। उन्होंने कहा कि इसके निर्माण के लिए चावल के पुआल को भी उपयोग में लाया जा सकता है।
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इस प्रोजेक्ट को लेकर जब हिमाचल रेडक्रॉस सोसायटी की अध्यक्ष और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की पत्नी डा. साधना ठाकुर से बात की गई तो उन्होंने कहा की ग्रमीणों की यह पहल सराहनीय है जहां इस से इनकम होगी तो दूसरा जगलों को आग से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा इस बारे में सीएम जयराम ठाकुर से बात की जायेगा और जो संभव हो पायेगा इस दिशा में कदम उठाए जाएगा।

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