Edited By Updated: 28 Feb, 2017 05:40 PM
बेरोजगारी भत्ते पर आम सहमति बनाने के बाद मंगलवार को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में पार्टी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिला।
शिमला: बेरोजगारी भत्ते पर आम सहमति बनाने के बाद मंगलवार को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में पार्टी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिला। इस दौरान मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेताओं के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बेरोजगारी भत्ते के मसले पर चर्चा हुई लेकिन बैठक का कोई साकारातम्क परिणाम सामने नहीं आया और यह बैठक एक तरह से बेनतीजा रही और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष को बैरंग लौटना पड़ा। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिले नेताओं में पार्टी उपाध्यक्ष रंगीला राम राव, महासचिव हरभजन सिंह भज्जी व हर्षवर्धन चौहान, मीडिया चैयरमैन नरेश चौहान, प्रवक्ता कुलदीप पठानिया और युकां प्रदेशाध्यक्ष विक्रामादित्य सिंह शामिल रहे जबकि पार्टी उपाध्यक्ष हर्ष महाजन किन्हीं कारणों से बैठक में नहीं पहुंच पाए।
मुख्यमंत्री ने दिया प्रदेश की आर्थिक स्थिति का हवाला
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बेरोजगारी भत्ते के संबंध में किसी भी तरह का आश्वासन पार्टी नेताओं को नहीं दिया। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए सरकार का स्टैंड स्पष्ट किया। सूत्रों के अनुसार पार्टी अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से कहा कि बेरोजगारी भत्ता पार्टी का घोषणा पत्र में किया गया चुनावी वायदा है, ऐसे में इसे पूरा करना भी हमारा दायित्व है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बताया कि मंगलवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से बेरोजगारी भत्ते सहित अन्य मुद्दों पर लंबी चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि इस दौरान मुख्यमंत्री को बीते दिन हुई प्रदेश कांग्रेस की बैठक में बेरोजगारी भत्ते को लेकर पार्टी नेताओं के आए फीडबैक के संंबंध में भी विस्तृत जानकारी दी गई।
घोषणा पत्र में किया वायदा पूरा करना संगठन-सत्ता का दायित्व
पार्टी अध्यक्ष ने बताया कि बेरोजगारी भत्ते को लेकर जल्द ही एक बार फिर पार्टी नेताओं का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलेगा और इसका स्वरूप क्या हो, उस पर चर्चा कर समाधान निकाले जाने के प्रयास किए जाएंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पहले ही राज्य की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए बेरोजगारी भत्ते देने की मांग नकार चुके हैं जबकि कांग्रेस पार्टी ने बीते दिन कार्यकारणी की बैठक आयोजित कर सूबे के बेरोजगारों युवाओं को भत्ता देने पर आम सहमति बनाई है, ऐसे में यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है तथा इस विषय पर सत्ता और संगठन आमने-सामने आ गए। कांग्रेस पार्टी का मानना है कि जो वायदा घोषणा पत्र में किया गया है, उसे पूरा करना संगठन और सत्ता का दायित्व है।
3 से 4 लाख युवा ही भत्ते के पात्र
भले ही कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के दरबार पहुंच कर उनके समक्ष बेरोजगारी भत्ते का मामला जोर-शोर से उठाया हो लेकिन पार्टी को यह स्पष्ट नहीं है कि प्रदेश में कितने बेरोजगार हैं। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि पार्टी पंचायत स्तर पर विशेष अभियान चला बेरोजगार युवाओं का पता लगाएगी और उसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री से पुन: इस मसले पर चर्चा करेगी। सूत्रों के अनुसार बैठक में पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में बेरोजगारी भत्ते के लिए जो 9 लाख युवाओं का आंकड़ा बताया जा रहा है, वह सहीं नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि बेरोजगारी भत्ते के लिए 3 से 4 लाख युवा ही पात्र हैं।
सबसे पहले बाली मैदान में उतरे
बेरोजगारी भत्ते को लेकर परिवहन मंत्री जी.एस. बाली सबसे पहले मैदान में उतरे थे। इसके तहत उन्होंने घोषणा पत्र में किए वायदे के अनुरूप राज्य के बेरोजगार युवाओं को भत्ता देने की बात कही थी। इसके बाद संगठन ने भी बेरोजगारी भत्ते को लेकर आम सहमति बनाई है। इसके साथ-साथ कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री विपल्व ठाकुर भी इस मामले में युवाओं को न उलझाने की बात कह चुकीं हैं। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस घोषणा पत्र में कौशल विकास भत्ता या बेरोजगारी भत्ता देने की बात है, इस दुविधा को दूर किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा में उपनेता प्रतिपक्ष आंनद शर्मा भी इस मसले पर मुख्यमंत्री से बातचीत करने की बात कह चुके हैं।
कौल सिंह कर चुके हैं स्थिति स्पष्ट
बेरोजगारी भत्ते के मामले में स्वास्थय मंत्री कौल सिंह ठाकुर भी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। कौल सिंह ठाकुर ने बीते दिन पार्टी सम्मेलन में कहा था कि यदि हम विकास चाहते हैं तो बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि यदि बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है तो हिमाचल में विकास कार्य ठप्प पड़ जाएंगे। कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार बेराजगारी भत्ता देती है तो कर्मचारियों के वेतन तक के लाले पड़ सकते हैं।