एन.जी.टी. की फटकार से सकते में हिमाचल सरकार

Edited By Vijay, Updated: 04 Jul, 2018 10:38 PM

ngt damnationed the himachal government

नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोहतांग सहित मनाली व अन्य क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर संजीदगी ने पर्यावरण प्रेमियों में उम्मीद जगाई है। रोहतांग को लेकर हिमाचल प्रदेश सरकार को लगी फटकार पर बुद्धिजीवियों और पर्यावरणविदों में चर्चा शुरू हो गई है।

कुल्लू (शम्भू): नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोहतांग सहित मनाली व अन्य क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर संजीदगी ने पर्यावरण प्रेमियों में उम्मीद जगाई है। रोहतांग को लेकर हिमाचल प्रदेश सरकार को लगी फटकार पर बुद्धिजीवियों और पर्यावरणविदों में चर्चा शुरू हो गई है। एन.जी.टी. की तल्ख टिप्पणी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और प्रदेश सरकार व प्रशासन की कार्यशैली को भी कटघरे में ला दिया है। पूर्व में जारी आदेशों की सही तरीके से अनुपालना न होने और आदेशों की अनदेखी पर भी एन.जी.टी. ने फटकार लगाते हुए कई सवाल दागे हैं। पर्यावरणीय नुक्सान को कम करने को लेकर 2 वर्ष पूर्व जारी आदेशों की अपुष्ट और भ्रामक अनुपालना व मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट पर एन.जी.टी. की तल्खी सामने आई है।


रिपोर्ट दाखिल करने का दिया आखिरी मौका
एन.जी.टी. ने प्रदेश सरकार को कहा है कि 18 दिसम्बर, 2016 को दिए गए आदेशों के अनुपालन की स्पष्ट रिपोर्ट आखिर क्यों नहीं दी जा रही है। दाखिल स्थिति रिपोर्ट को लेकर एन.जी.टी. ने दो टूक कहा कि इस रिपोर्ट में महज आंकड़ों का दोहराव भर है जो सही बात नहीं है। प्रदेश सरकार को रिपोर्ट दाखिल करने का आखिरी मौका एन.जी.टी. ने दिया है और एन.जी.टी. की फटकार से भी सरकार सकते में है। स्वत: संज्ञान मामले में सुनवाई के दौरान एन.जी.टी. की यह तल्खी सामने आई है।


पूर्व के आदेशों की भी सही तरीके से नहीं हुई पालना
एन.जी.टी. ने यह भी कहा कि पूर्व में जारी आदेशों की सही तरीके से अनुपालना नहीं हुई है। जिन-जिन सुविधाओं को जुटाने के आदेश दिए गए थे वे सुविधाएं नहीं जुटाई गई हैं। रोहतांग रोप-वे को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। रोहतांग का मामला कोर्ट में 2013 में पहुंचा था और यह पर्यावरण संबंधी मुद्दा होने के कारण इसे हाईकोर्ट ने एन.जी.टी. को सुनवाई के लिए भेजा था। एन.जी.टी. ने पर्यावरणीय पहलू पर 2014 में आदेश जारी किए थे और रोहतांग के लिए वाहनों की संख्या को सीमित कर दिया गया था। पहले 1600 वाहन रोहतांग भेजे जाने का एन.जी.टी. ने प्रावधान दिया था, बाद में वाहनों की संख्या को कम कर 1200 किया गया था जिनमें 800 वाहन पैट्रोल और 400 वाहन डीजल इंजन शामिल हैं।


पर्यावरण संरक्षण के प्रति संजीदगी दिखाए सरकार
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदेश सरकार को पर्यावरण संरक्षण संबंधी कई आदेश जारी किए थे जिनमें गिने-चुने मामलों में ही काम हुआ और वह भी आधा-अधूरा। इसी बात पर एन.जी.टी. ने तल्ख टिप्पणी की है। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार को संजीदगी दिखानी चाहिए। यदि पर्यावरण को नुक्सान पहुंचता रहा तो आने वाले समय में न तो शुद्ध आबोहवा मिलेगी और न ही पर्यटन कारोबार रहेगा। एन.जी.टी. ने जिस प्रकार तल्ख तरीके से प्रदेश सरकार को कहा है कि हिमाचल को आप बर्बाद करके छोड़ेंगे, इस पर बहस शुरू हो गई है।


क्या बोले डी.सी. यूनुस
डी.सी. कुल्लू यूनुस ने कहा कि एन.जी.टी. के आदेशों पर रोहतांग के लिए कई कार्य हुए हैं और कई ऐसे कार्य भी हो रहे हैं जो अतिरिक्त तौर पर करवाए जा रहे हैं। रोहतांग के लिए 25 इलैक्ट्रिक बसें शुरू कर दी गई हैं। रोप-वे के रिगार्डिंग हमारी ओर से कुछ भी पैंडिंग नहीं है और सारी एन.ओ.सी. दे दी गई हैं तथा प्रोजैक्ट से जुड़ा मामला देहरादून भेज दिया है। हैलीपैड को लेकर भी ट्रायल हुआ है। डिपार्टमैंट ऑफ एन्वायरनमैंट एंड साइंसिज हिमाचल प्रदेश की रिपोर्ट भी चली गई और अब वे डिटेल्ड रिपोर्ट भी सबमिट कर रहे हैं। कनैक्टीविटी के रिगार्डिंग सर्वे भी करवाया गया है और कुछ टाइम बाद कनैक्टीविटी का परमानैंट टावर भी लग जाएगा।

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