Edited By Vijay, Updated: 01 Dec, 2018 03:45 PM
कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक में पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान हुईं भर्तियों में चहेतों को फायदा पहुंचाने और वित्तीय अनियमितताएं बरतने से जुड़े कथित आरोपों की चल रही प्रारंभिक जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच में पाया गया है कि बैंक...
शिमला (राक्टा): कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक में पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान हुईं भर्तियों में चहेतों को फायदा पहुंचाने और वित्तीय अनियमितताएं बरतने से जुड़े कथित आरोपों की चल रही प्रारंभिक जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच में पाया गया है कि बैंक ने कर्ज आबंटन से जुड़े कुछ मामलों में जानबूझ कर नियमों की अनदेखी की है। सूत्रों के अनुसार बैंक प्रबंधन ने न केवल राज्य से बाहर की संपत्तियों को अपने पास गिरवी रखकर ऋण स्वीकृत कर डाला बल्कि लाखों की संपत्ति का मूल्यांकन करोड़ों रुपए में कर दिया गया। ऐसा होने से अब बैंक को अपनी राशि वसूलना टेढ़ी खीर हो गया है। सूत्रों की मानें तो जांच एजैंसी उन तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों को पूछताछ के लिए तलब करने की तैयारियों में है, जिन्होंने ऋ ण देने के लिए तैयार किए जाने वाले दस्तावेजों में जानबूझ कर हेराफेरी की है।
ऋण देने के लिए राज्य से बाहर की संपत्ति नहीं हो सकती मॉर्टगेज
सूत्रों के अनुसार बैंक के नियमों के तहत ऋण देने के लिए राज्य से बाहर किसी भी संपत्ति को मॉर्टगेज नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद बैंक प्रबंधन ने बाहरी राज्यों में स्थित संपत्तियों के नाम पर ऋ ण दिया। इतना ही नहीं, संपत्ति का मूल्यांकन भी करोड़ों में कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार बैंक के अधीनस्थ स्टाफ ने भी ऋण बांटने से जुड़े कुछ मामलों में बैंक प्रबंधन को नोटिंग में प्रबंधन को आगाह किया था लेकिन उस पर अमल नहीं किया। विजीलैंस बैंक में हुई भर्तियों के रिकॉर्ड को भी खंगाल रही है। इसके साथ-साथ बैंक से जुड़े कथित आरोपों की जांच भी विजीलैंस कर रही है।
700 करोड़ पहुंच गया एन.पी.ए.
आरोप है कि पूर्व कांग्र्रेस सरकार के कार्यकाल में बैंक प्रबंधन द्वारा अपने चहेतों को बांटी गई ऋ ण की रेवडिय़ों के चलते ही बैंक का नॉन परफॉर्मिंग एसैट ( एन.पी.ए.) 700 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जो बैंक की कुल जमा पूंजी का करीब 18 से 21 प्रतिशत है, जबकि यह 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
यह रिकॉर्ड भी खंगाल रही जांच टीम
भाजपा के एक विधायक यह भी आरोप लगा चुके हैं कि सिर्फ 5 लोगों ने ही बैंक के 120 करोड़ रु पए से अधिक दबा रखे हैं। इसके अलावा 303 करोड़ रुपए का ऋ ण नाबार्ड के नियमों के खिलाफ दिया गया। सूत्रों के अनुसार बैंक प्रबंधन की ऋ ण कमेटी की बैठकों के रिकार्ड को जांच एजैंसी खंगाल रही है।
सदन में भी गूंज चुका है मामला
के.सी.सी. बैंक के ऋ ण आबंटन का मामला विधानसभा में भी गूंज चुका है। इसके साथ ही भाजपा द्वारा पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार के खिलाफ सौंपी गई चार्जशीट में भी के.सी.सी. बैंक में ऋ ण देने के मामले में हुईं अनियमितताओं का मामला उठाया गया था।