माइनस 35 डिग्री तापमान में करते हैं शिक्षा का अध्ययन

Edited By Kuldeep, Updated: 11 Feb, 2019 10:26 PM

manali minus 35 degrees buddhist monk education study

देश में एक ऐसी जगह भी है जहां छात्र माइनस 35 डिग्री तापमान में भी पढ़ाई कर रहे हैं। यहां देश-विदेश से आए छात्र जहां बौद्ध धर्म का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं, वहीं बौद्ध धर्म से जुड़े हुए विषयों पर भी शोध कार्य करने में जुटे हुए हैं।

मनाली: देश में एक ऐसी जगह भी है जहां छात्र माइनस 35 डिग्री तापमान में भी पढ़ाई कर रहे हैं। यहां देश-विदेश से आए छात्र जहां बौद्ध धर्म का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं, वहीं बौद्ध धर्म से जुड़े हुए विषयों पर भी शोध कार्य करने में जुटे हुए हैं। यहां हम बात कर रहे हैं स्पीति घाटी के की मोनैस्ट्री की। यहां इन दिनों तापमान माइनस 30 व 35 डिग्री तक पहुंच चुका है। ऐसे में उक्त मोनैस्ट्री में देश-विदेश से शिक्षा ग्रहण करने पहुंचे छात्र सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। लाहौल-स्पीति के काजा से 12 किलोमीटर दूर स्थित मोनैस्ट्री किलानुमा शैली में बनी है। यह मोनैस्ट्री करीब 1,000 साल पुरानी है। बौद्ध भिक्षुओं का यह मठ कई आक्रमणकारियों के हमले झेलने के साथ-साथ कई प्राकृतिक आपदाएं झेल चुका है। इस मोनैस्ट्री में देश ही नहीं विदेश के भी छात्र पढ़ाई करने आते हैं। करीब 14,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस मोनैस्ट्री में ऑक्सीजन की कमी होने और सर्दियों में तापमान माइनस 35 डिग्री तक जाने के बावजूद यहां बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण कर रहे बौद्ध भिक्षु यहीं रह कर पढ़ाई करते हैं। सर्दियों के चलते इन दिनों यहां पर पर्यटकों की भी खासी भीड़ देखने को मिल रही है। धर्मगुरु दलाईलामा वर्ष 2000 में यहां पर कालचक्र के दौरान प्रवचन दे चुके हैं।

मोनैस्ट्री आज भी कई ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए हुए है

 मोनैस्ट्री को देखने के लिए अक्तूबर माह में पर्यटक यहां अधिक संख्या में आते हैं। इतिहास और संस्कृति को संजोए यह मोनैस्ट्री आज भी कई ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए हुए है। उक्त मोनैस्ट्री में कई साल गुजार चुके छेदिन लुनडूप ने बताया कि इसका आॢकटैक्चर 14वीं शताब्दी का है और यहां पर तिब्बत से लाई गई कई ऐतिहासिक पुस्तकें, पेंटिंग्स और कपड़े से बनी पेंटिंग्स मौजूद हैं। मोनैस्ट्री में 140 बौद्ध भिक्षु शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यहां बौद्ध धर्म की पढ़ाई के साथ-साथ प्रदेश शिक्षा बोर्ड की तरफ  से पढ़ाए जाने वाले विषय भी पढ़ाए जाते हैं। यहां की प्रथा है कि खाने के वक्त बच्चों को शंखनाद करके बुलाया जाता है। हिमालयन बौद्ध संस्कृति सभा के मुख्य संरक्षक रवि ठाकुर ने बताया कि स्पीति घाटी में मौजूद की मोनैस्ट्री आज भी अपने आप में इतिहास को संजोए हुए है।

कब-कब हुए आक्रमण

मोनैस्ट्री पर 14वीं सदी में सबसे पहले शाक्यों ने हमला किया और यहां से कई बहुमूल्य वस्तुएं लूटकर ले गए। इसके बाद 17वीं सदी के पंचेन लामा के समय इस गोम्पा पर मंगोलों ने हमला किया। 1882 में लद्दाख और कुल्लू रियासतों की लड़ाई के दौरान इसे काफी नुक्सान पहुंचाया गया। 1841 में डोगरा की लड़ाई के दौरान गुलाम खान और रहीम खान ने इस मोनैस्ट्री को बहुत नुक्सान पहुंचाया। 1975 में आए भीषण भूकंप में भी यह मोनैस्ट्री सुरक्षित रही।

 

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