अब डॉक्यूमैंटरी में दिखेगी कांगड़ा रेल

Edited By Punjab Kesari, Updated: 17 Jan, 2018 04:17 PM

kangra rail will now be seen in the documentary

अपने स्वर्णिम इतिहास को संजोय कांगड़ा रेल अब डॉक्यूमैंटरी में दिखेगी। डॉक्यूमैंटरी कर्नल बैटी की अगली पीढ़ी बनाएगी। बताया जा रहा है कि बैटी परिवार ने इस संबंध में रेलवे से संपर्क बनाया है। डॉक्यूमैंटरी में वही भाप का इंजन दौड़ता दिखेगा जो ब्रिटिश...

पालमपुर (भृगु): अपने स्वर्णिम इतिहास को संजोय कांगड़ा रेल अब डॉक्यूमैंटरी में दिखेगी। डॉक्यूमैंटरी कर्नल बैटी की अगली पीढ़ी बनाएगी। बताया जा रहा है कि बैटी परिवार ने इस संबंध में रेलवे से संपर्क बनाया है। डॉक्यूमैंटरी में वही भाप का इंजन दौड़ता दिखेगा जो ब्रिटिश काल में इस रेल लाइन में दौड़ा करता था। उसकी धरोहर पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज रेल लाइन 2 फुट 6 इंच चौड़ी विश्व की मात्र कुछेक लाइनोंं में से है जो अभी भी चलन में है। हालांकि समय के साथ इसमें अब स्टीम इंजन का उपयोग थम गया है लेकिन डॉक्यूमैंटरी में वही पुराना भाप इंजन उपयोग में लाया जाएगा। रेलवे द्वारा हाल ही में इस ट्रैक पर स्टीम इंजन की ट्रायल प्रक्रिया भी की जा रही है। इसे पर्यटन की दृष्टि से आरंभ किए जाने की योजना है तथा इसके लिए पुराने भाप के इंजन को पुन: ठीक भी किया गया है। जानकारी अनुसार फिल्म इंडस्ट्री की ओर से भी इस मार्ग पर पुराने स्टीम इंजन को चालू किए जाने का अनुरोध प्राप्त हुआ है ताकि फिल्म शूटिंग में इसका उपयोग किया जा सके।


क्या है इतिहास
इस रेलवे लाइन की योजना मई 1926 में बनाई गई तथा 1929 में इसे कार्यान्वित किया गया। अंग्रेजों के सहयोग से जोगिंद्रनगर के तत्कालीन राजा जोगिन्द्र सेन ने सन 1926-1929 के दौरान शानन में एशिया के पहले पन बिजली पावर हाऊस का निर्माण करवाया। पावर हाऊस के निर्माण के लिए ब्रिटेन से भारी मशीनें लाने के लिए पठानकोट से जोगिन्द्रनगर के शानन तक यह नैरोगेज लाइन बिछाई गई जोकि मशीनरी की ढुलाई के साथ-साथ कच्चे माल के परिवहन के लिए भी अत्यधिक सहायक सिद्ध हुई है। दूसरे विश्वयुद्ध के समय इस रेलमार्ग को बंद भी किया गया था तब रसद आपूर्ति के लिए इस ट्रैक को 1941-42 में बंद कर दिया गया। 12 वर्ष के पश्चात 1954 को इस मार्ग को पुन: बहाल किया गया। 1973 में पौंग डैम के निर्माण के समय 25 किलोमीटर मार्ग बंद रहा था। 


164 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग पर कुल 933 पुल व 484 मोड़ 
पठानकोट-जोगिंद्रनगर 164 किलोमीटर लंबे रेललाइन पर 2 टनल आती हैं। एक टनल 250 फुट जबकि दूसरी 1000 फुट लंबी है। पठानकोट रेलवे स्टेशन की ऊंचाई 383 मीटर तथा जोगिंद्रनगर की 1184 मीटर है। इस रेल लाइन पर ऐहजू रेलवे स्टेशन सबसे अधिक 3901 फुट की ऊंचाई पर है। इस रेलमार्ग पर कुल 933 पुल व 484 मोड़ आते हैं। वर्तमान में इस रेल लाइन पर 6 रेल दौड़ती हैं। यह रेल लाइन क्षेत्र के सभी प्रमुख नगरों तथा धार्मिक स्थलों को छूती हुई निकलती है। रेल लाइन नूरपुर, ज्वाली, ज्वालामुखी रोड, कांगड़ा, नगरोटा बगवां, चामुंडा जी, पालमपुर, बैजनाथ तथा जोगिंद्रनगर से होते हुए गुजरती है परंतु इस रेलवे लाइन पर पड़ने वाले स्टेशनों तथा अन्य ठहराव पर यात्रियों की सुविधा के नाम पर नाममात्र ही सुविधाएं उपलब्ध हैं। कुछ स्थानों पर तो मात्र अभी यात्रियों के लिए शैड ही बनाए गए हैं। कहा जाए तो ब्रिटिश काल के बाद इस दिशा में कुछ किया ही नहीं जा सका है।

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