झंडूता के जगदीश ने मेहनत के दम पर लिखी कामयाबी की इबारत, पढ़ें खबर

Edited By Vijay, Updated: 10 Feb, 2019 07:31 PM

jagdish of jhanduta has written a story of success on the strength of hard work

मन में अगर कुछ कर गुजरने की चाह हो तो परिश्रम के बल पर चट्टानों पर भी मखमली रास्ते बनाए जा सकते हैं। इस इबारत को सच कर दिखाया बिलासपुर जिला के झंडूता उपमंडल की बलघाड़ पंचायत के गांव पराहू के मेहनती प्रगतिशील किसान जगदीश चंद वर्मा ने। सीखने और...

बिलासपुर (मुकेश): मन में अगर कुछ कर गुजरने की चाह हो तो परिश्रम के बल पर चट्टानों पर भी मखमली रास्ते बनाए जा सकते हैं। इस इबारत को सच कर दिखाया बिलासपुर जिला के झंडूता उपमंडल की बलघाड़ पंचायत के गांव पराहू के मेहनती प्रगतिशील किसान जगदीश चंद वर्मा ने। सीखने और परिश्रम से लक्ष्य प्राप्ति करने की भावना को पंख लगाकर आकाश छूने की उनकी जिद को पूरा करने में वर्ष 2008 में उद्यान विभाग के तत्कालीन विषय विशेषज्ञ एवं वर्तमान उपनिदेशक उद्यान विभाग बिलासपुर विनोद कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने जगदीश चंद को राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान केंद्र सोलन में मशरूम उत्पादन के प्रशिक्षण के लिए भेजा। वर्ष 2009 में आतमा परियोजना व कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से उन्होंने मात्र 20 बैग से मशरूम उत्पादन कार्य आरंभ किया।

प्रगतिशील किसानों की अग्रणी फेहरिस्त में दर्ज करवाया नाम

प्रथम वर्ष ही 40 किलोग्राम के मशरूम उत्पादन से उत्साहित जगदीश ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। आज न केवल उन्होंने अपने मशरूम उत्पादन को अपनी मेहनत के बल और उद्यान विभाग के सहयोग से 40 क्विंटल तक पहुंचाकर जिला के प्रगतिशील किसानों की अग्रणी फेहरिस्त में अपना नाम दर्ज करवा लिया है अपितु कई बेरोजगार युवक-युवतियों को स्वरोजगार की राह दिखाकर उन्हें मशरूम उगाने के लिए प्रेरित भी किया है।

हाथोंहाथ हो जाती है मशरूम की बिक्री

वर्ष 2017-18 में हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन के तहत 20 लाख रुपए के इनके प्रोजैक्ट के लिए 8 लाख रुपए का उपदान भी दिया गया। जगदीश वर्मा द्वारा उत्पादित मशरूम की इतनी अधिक मांग है कि इन्हें अपने मशरूम की बिक्री के लिए किसी बड़े शहर या जिला मुख्यालय तक भी नहीं जाना पड़ता। इनके मशरूम को झंडूता बाजार, भड़ोलियां, कलोल, जेजवीं, सुन्हाणी व सेर बरोहा आदि की मार्कीट में हाथोंहाथ खरीद लिया जाता है।

सीजन में 12 से 18 घंटे तक करते हैं अथाह परिश्रम

जगदीश वर्मा मशरूम उत्पादन सीजन में 12 से 18 घंटे तक निरंतर अथाह परिश्रम करते हैं। रात्रि 10 बजे से मशरूम को बैग से काटने का कार्य आरंभ होता है और रात 1 बजे से धुलाई व सुखाई की प्रक्रिया के पश्चात प्रात: 5 बजे से पैकिंग आरंभ की जाती है और फिर सुबह साढ़े 7 से 9 बजे तक मशरूम को मार्कीट में पहुंचा दिया जाता है।

परिवार भी बंटाता है हाथ

इस कार्य में उनकी पत्नी बीना देवी, बेटे आशीष व रोहित तथा बेटी नेहा के अतिरिक्त उनके भाई का परिवार भी हाथ बंटाता है जबकि इस व्यवसाय के माध्यम से वह गांव की महिलाओं को भी रोजगार देते हैं। जगदीश चंद वर्मा का कहना है कि आज के परिवेश में आवश्यक है कि युवा पीढ़ी सरकारी नौकरियों के पीछे भागने के बदले सरकार द्वारा स्वरोजगार के क्षेत्र में उपलब्ध करवाए जा रहे संसाधनों का लाभ उठाकर अपना जीवन स्तर ऊपर उठाए।

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