यह कैसी मजबूरी, मरीज पालकी में तय करते हैं दूरी

Edited By Updated: 22 May, 2017 12:36 AM

how this compulsion  patient fixed the distance in the sedan

प्रदेश सरकार लोगों को घर-द्वार पर सड़क सुविधा मुहैया करवाने के दावे तो करती है लेकिन अभी ऐसे बहुत से गांव हैं, जहां सड़क अभी तक नहीं पहुुंच पाई है।

मंडी: प्रदेश सरकार लोगों को घर-द्वार पर सड़क सुविधा मुहैया करवाने के दावे तो करती है लेकिन अभी ऐसे बहुत से गांव हैं, जहां सड़क अभी तक नहीं पहुुंच पाई है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर के गृह क्षेत्र द्रंग की बांधी पंचायत के अनेक गांव अभी भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं, जिसके चलते आपात स्थिति में मरीजों को पालकी में बिठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है। इसका ताजा उदाहरण बांधी पंचायत के थलाणा गांव में देखने को मिला। 

पालकी पर 6-7 किलोमीटर का सफर कर अस्पताल पहुंचाई महिला
जानकारी के अनुसार उक्त गांव की एक महिला को शनिवार रात करीब 9 बजे प्रसव पीड़ा होने पर उसके परिजनों ने कुर्सी की पालकी में बिठाकर 6-7 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर अस्पताल पहुुंचाया। इस बात से विधायक व प्रदेश सरकार में अहम पद पर तैनात मंत्री के विकास के दावों की भी पोल खुल रही है। जानकारी अनुसार बांधी पंचायत में थलाणा गांव के अलावा रैहण व बाता गांव भी सड़क से अछूते हैं। 

दुर्गम रास्ते में जान का खतरा
स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में सड़क न होने से उन्हें आपात स्थिति में जंगली रास्ते से होकर अपनी जान जोखिम में डालकर करीब 3 घंटे पैदल सफर कर सड़क मार्ग तक पहुंचना पड़ता है, ऐसे में लोगों को जंगली जानवरों सहित ऊबड़-खाबड़ रास्ते से जोखिम उठाना पड़ता है। अगर उक्त गांव को सड़क बन गई होती तो उन्हें इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़ता। उन्होंने प्रदेश सरकार व स्थानीय विधायक से आग्रह किया है कि लोगों की दिक्कतों को देखते हुए गांव को शीघ्र सड़क से जोड़ा जाए ताकि लोगों को आपात स्थिति में इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। 

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