Kangra: रैड अलर्ट पर हिमाचल की आर्थिकी! FRBM की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Edited By Vijay, Updated: 05 Dec, 2025 11:06 PM

himachal s economy on red alert shocking revelations in the frbm report

मौजूदा वित्त वर्ष के बजट अनुमानों के अनुसार राज्य को 16101.10 करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्तियों के अनुमान की तुलना में 14374 करोड़ रुपए रहेंगे। इस तरह राजस्व प्राप्तियों में 1726 करोड़ रुपए की इस वर्ष कमी रहेगी।

तपोवन (धर्मशाला) (कुलदीप): मौजूदा वित्त वर्ष के बजट अनुमानों के अनुसार राज्य को 16101.10 करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्तियों के अनुमान की तुलना में 14374 करोड़ रुपए रहेंगे। इस तरह राजस्व प्राप्तियों में 1726 करोड़ रुपए की इस वर्ष कमी रहेगी। यह कमी बजट अनुमानों के अनुसार है। हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध (एफआरबीएम) रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में वेतन व पैंशन का खर्चा लगातार बढ़ रहा है। वेतन पर चालू वित्त वर्ष में 13837.36 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। बजट में यह अनुमान 14538 करोड़ रुपए का था। इसी तरह पैंशन पर भी इस वर्ष 10850 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

उपदानों पर लगातार बढ़ा सरकार का खर्च 
उपदानों पर सरकार का खर्च लगातार बढ़ा है। इसी तरह मौजूदा वित्त वर्ष में उपदानों पर 1420 करोड़ रुपए खर्च होने का बजट अनुमान था, लेकिन यह खर्च 2508 करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इस तरह उपदान पर 1088 करोड़ रुपए अधिक खर्च होंगे। ब्याज पर सरकार इस साल 6738.85 करोड़ रुपए अधिक खर्च करेगी। रिपोर्ट में बजट अनुमानों के 16101.10 करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्तियों के अनुमान की तुलना में 14374 करोड़ रुपए रहेंगे। इस तरह राजस्व प्राप्तियों में 1726 करोड़ रुपए की इस वर्ष कमी रहेगी। यह कमी बजट अनुमानों के अनुसार है।

केंद्रीय योजनाओं व अनुदान में हुई बढ़ौतरी
हिमाचल के लिए केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं व अनुदान में मौजूदा वित्त वर्ष में 1662.73 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि केंद्र प्रायोजित योजनाओं से वित्त वर्ष में मिलने वाली 5263 करोड़ के बजट अनुमानों से अधिक है। इससे स्पष्ट है कि इस वर्ष केंद्र प्रायोजित योजनाओं व अनुदानों से प्रदेश को 6925 करोड़ रुपए की राशि मिलेगी। केंद्र प्रायोजित योजनाओं में यह बढ़ौतरी एनडीआरएफ, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएमजीएसवाई व अन्य केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत राज्य को मिलने वाले अनुदानों के तहत खजाने में आने वाले राशि की एवज में हुई है। मौजूदा वित्त वर्ष में प्रदेश का राजस्व घाटा भी 7434.93 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है।

प्राकृतिक आपदा से भी दबाव में आई आर्थिकी
राज्य में मानूसन की वर्षा के कारण बार-बार आ रहीं प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी दबाव में है। एक ओर जहां प्राकृतिक आपदाओं से सरकारी कोष पर बोझ बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जीएसटी दरों में बदलाव व उत्पादन शुल्क प्राप्तियों में भी कमी से अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ा है। हालात ये हैं कि वित्त वर्ष में राज्य का राजकोषीय घाटा बजट अनुमानों में प्रस्तावित 10337.97 करोड़ रुपए के मुकाबले बढ़कर 12114 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। इससे चालू वित्त वर्ष में ही राजकोषीय घाटे में 1776 करोड़ रुपए की और बढ़ौतरी होगी, जो जीएसडीपी के 4.74 फीसदी के बराबर है।

परेशानी का सबब बना राजकोषीय घाटा
लगातार बढ़ता राजकोषीय घाटा राज्य सरकार के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। घाटे को पूरा करने व राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से विशेषज्ञों ने प्रदेश में कर व गैर-कर राजस्व में बढ़ौतरी का सुझाव दिया है। इसी तरह प्रदेश सरकार भी केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों व परियोजनाओं के तहत अधिक धन जुटाने का प्रयास करेगी। बाह्या वित्त पोषित परियोजनाओं के लिए भी अधिक धन जुटाया जाएगा। सरकार के इन प्रयासों से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की संभावना है।

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