यहां हुनर जमकर बोलता, बांस से खेलते हैं हाथ

Edited By kirti, Updated: 18 Sep, 2018 03:55 PM

here the swords speak fiercely playing bamboo hands

यहां हुनर जमकर बोलता है बांस की तीलियों तथा पतली लकड़ियों से हाथ खेलते हैं तब कहीं जाकर ढांचा तैयार होता है। विजयदशमी पर जो रावण, मेघनाथ तथा कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं उसके पीछे कई दिनों की मेहनत होती है। सिर, हाथ, पैर और धड़ बनाने के लिए हुनर...

पालमपुर : यहां हुनर जमकर बोलता है बांस की तीलियों तथा पतली लकड़ियों से हाथ खेलते हैं तब कहीं जाकर ढांचा तैयार होता है। विजयदशमी पर जो रावण, मेघनाथ तथा कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं उसके पीछे कई दिनों की मेहनत होती है। सिर, हाथ, पैर और धड़ बनाने के लिए हुनर काम आता है। दिनभर 7 से 8 घंटे काम करने के बाद कहीं जाकर 7-8 दिन में एक पुतला तैयार होता है। कई दिन पहले की यह कार्य आरंभ कर दिया जाता है।

आज भी वर्षों पूर्व की भांति काम हाथ से होता है। पूर्वजों से मिली यह कला आज भी निभा रहे हैं राम चौक घुग्घर के कुलदीप उर्फ  गुड्डू। 40 वर्ष से गुड्डू यह कार्य कर रहे हैं। हुनर ऐसा कि दूर-दूर से लोग गुड्डू से पुतले बनवाने पहुंचते हैं। कुलदीप उर्फ  गुड्डू के अनुसार दिन में 7 से 8 घंटे तो कभी कभार 10-10 घंटे काम करना पड़ता है। एक महीना पहले ही पुतले बनाने में जुड़ जाते हैं। यदि ऑर्डर अधिक मिला है तो दिन-रात एक करना पड़ता है। उनके अनुसार दिन-प्रतिदिन यह कार्य महंगा होता जा रहा है परंतु उन्हें यह कला पूर्वजों से मिली है इसलिए वह आज भी इसे जारी रखे हुए हैं।

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