हिमाचल में नशामुक्ति के लिए मजबूती से नहीं चल पाया जन आंदोलन : आचार्य देवव्रत

Edited By Vijay, Updated: 17 Jul, 2019 11:12 PM

governor acharya devavrat

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा है कि प्रदेश में नशामुक्ति के लिए जिस मजबूती से आंदोलन चलना चाहिए था, वैसा अब तक हो नहीं पाया है। नशा मुक्ति के खिलाफ और प्रभावी तरीके से आंदोलन चलाने की आवश्यकता है, जिसमें पुलिस, स्वयंसेवी संस्थाओं और नेताओं सहित आम...

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा है कि प्रदेश में नशामुक्ति के लिए जिस मजबूती से आंदोलन चलना चाहिए था, वैसा अब तक हो नहीं पाया है। नशा मुक्ति के खिलाफ और प्रभावी तरीके से आंदोलन चलाने की आवश्यकता है, जिसमें पुलिस, स्वयंसेवी संस्थाओं और नेताओं सहित आम आदमी को आगे आने की आवश्यकता है। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शिमला से रवाना होने से एक दिन पहले राजभवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर नशा मुक्ति के लिए पूरी गंभीरता से सकारात्मक प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में उम्मीद है कि निकट भविष्य में इसके सुखद परिणाम सामने आएंगे और यह जन आंदोलन का रूप लेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि हिमाचल प्रदेश वर्ष 2022 तक प्राकृतिक खेती करने वाला पहला राज्य बनने में सफल रहेगा और इसके लिए वह यहां का दौरा करते रहेंगे। प्राकृतिक खेती का यह अभियान गुजरात में भी जारी रहेगा।

प्राकृतिक खेती को करने से मिलते हैं 6 प्रकार के लाभ

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को करने से 6 प्रकार के लाभ मिलते हैं। इसमें पहला, भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। दूसरा, इसको करने में जल की कम मात्रा लगती है। तीसरा, यह ग्लोबल वाॄमग को कम करेगा। चौथा, यह इससे देसी नस्ल की गाय को बचाने में मदद मिलेगी और एक गाय से 30 एकड़ में खेती की जा सकती है। पांचवां, अस्पताल में पहुंचने वाले रोगियों की संख्या कम हो जाएगी तथा छठा, इससे शून्य लागत में शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गुजरात में भी प्राकृतिक खेती सफल रहेगी और वह इस दिशा में प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तरफ से उनको जो दायित्व सौंपा गया है, उस पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे।

मैं कर्म में विश्वास रखता हूं

उन्होंने कहा कि वह कर्म करने में विश्वास रखते हैं, यदि निकट भविष्य में उनको कोई अन्य दायित्व मिलता है, तो उसे निभाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि 4 साल के कार्यकाल में उनको पक्ष-विपक्ष का पूर्ण सहयोग मिला है, जिसके लिए वह आभारी हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पदभार संभालने पर उन्होंने प्राकृतिक खेती, बेटी पढ़ाओ-बचाओ, पर्यावरण, जल संकट, समरसता, नशा मुक्ति और गौवंश संवर्द्धन के लिए प्रयास किए। प्राकृतिक खेती से प्रदेश के 10 हजार किसान जुड़े हैं और इस साल 50 हजार किसानों को इससे जोडऩे का लक्ष्य रखा गया है।

गुजरात में बार होगी तो बनेगा हवन कुंड

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यदि गुजरात राजभवन में बार होगी, तो वहां पर भी हवन कुंड बनेगा। गुजरात में भी उनका रोजाना हवन करने व योग करने का क्रम जारी रहेगा। उन्होंने राजभवन शिमला में जो देसी गाय पाली है, उसे गुरुकुल को उपहार स्वरूप देंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि राजभवन शिमला में शुरू हुए हवन करने का क्रम जारी रहेगा।

22 को लेंगे गुजरात के राज्यपाल पद की शपथ

राज्यपाल आचार्य देवव्रत गुजरात के राज्यपाल के रूप में 22 जुलाई को शपथ लेंगे। उन्होंने कहा कि वह हिमाचल प्रदेश उनके लिए एक परिवार की तरह रहा है। हिमाचल प्रदेश देवभूमि है और यहां के लोग भी उसी तरह भले व सज्जन हैं।

प्राकृतिक खेती को मिलेगा बढ़ावा : मारकंडा

इस दौरान कृषि मंत्री डा. रामलाल मारकंडा ने कहा कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत की तरफ से शुरू किए गए प्राकृतिक खेती के अभियान को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश को वर्ष 2022 तक प्राकृतिक खेती करने वाला पहला राज्य बनाने के प्रयास जारी रहेंगे।

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