हाईकोर्ट ने दिए आदेश, प्रदेश के सभी नैशनल हाईवे से अवैध कब्जे हटाए सरकार

Edited By Vijay, Updated: 25 Jul, 2021 12:06 AM

government should remove illegal occupation from all nh of state

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी नैशनल हाईवे से अवैध कब्जों को हटाने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वे तीन महीनो के भीतर राज्य के सभी नैशनल हाईवे, स्टेट हाईवे...

शिमला (मनोहर): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी नैशनल हाईवे से अवैध कब्जों को हटाने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वे तीन महीनो के भीतर राज्य के सभी नैशनल हाईवे, स्टेट हाईवे और अन्य सड़कों से अवैध कब्जों को हटाएं। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक सम्पत्ति पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए अदालत कर्तव्यबाध्य है। अदालत ने कहा कि अवैध कब्जाधारियों को दया भाव के आधार पर नहीं बख्शा जा सकता। अवैध कब्जाधारियों द्वारा अपनी आजीविका के लिए सड़क के किनारे बनाए गए अस्थायी निर्माण को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

खंडपीठ ने अपने आदेशों की अनुपालना के लिए राज्य के मुख्य सचिव को सुनिश्चित किया है। ठियोग क्षेत्र स्थित नरेल नामक स्थान के निवासी हरनाम सिंह उर्फ रिंकू चंदेल द्वारा याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने उक्त आदेश पारित किए। प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाई थी कि उसके द्वारा सड़क के किनारे बनाए गए ढाबे को न गिराया जाए। मामले में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी ने नैशनल हाईवे पर एक ढाबे का अवैध रूप से निर्माण किया है, जिससे वह अपने परिवार का पेट पालता है लेकिन लोक निर्माण विभाग ने उसे नोटिस जारी कर ढाबे को हटाने का आदेश दिया। इस आदेश हो प्रार्थी ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी। 

दलील दी गई कि प्रार्थी अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए ढाबे को चलाता है। इस ढाबे के निर्माण करने से न कोई ट्रैफिक रुकता है और न ही किसी अन्य को कोई परेशानी है। यह भी दलील दी गई थी कि नैशनल हाईवे पर अवैध निर्माण करना वाला प्रार्थी अकेला नहीं है, बल्कि प्रदेश भर में सैंकड़ों लोगों ने सड़क के किनारे अवैध निर्माण किया है और वे अपनी आजीविका कमा रहे हैं। इसलिए उसके द्वारा किए गए अवैध निर्माण को हटाने बारे दिए गए आदेशों को रद्द किया जाए। 

अदालत ने मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि अवैध कब्जाधारियों द्वारा अपनी आजीविका के लिए सड़क के किनारे बनाए गए अस्थायी निर्माण को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक सम्पत्ति पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए अदालत कर्तव्यबाध्य है। अदालत ने कहा कि अवैध कब्जाधारियों को दया भाव के आधार पर नहीं बख्शा जा सकता।

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