लगातार टैक्स व फीसें बढ़ाकर जनता का खून चूस रही है सरकार : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 03 Nov, 2020 05:13 PM

government is sucking blood of public by increasing taxes  rana

लगातार रोज-रोज तरह-तरह के शुल्क व फीसें बढ़ाकर बीजेपी सरकार जनता को लगातार महंगाई का जहर देकर जान निकालने पर आमादा हो चुकी है। लग रहा है कि सरकार ने जनता पर अतिरिक्त बोझ लादने का एक सूत्रीय कार्यक्रम तय कर लिया है।

हमीरपुर : लगातार रोज-रोज तरह-तरह के शुल्क व फीसें बढ़ाकर बीजेपी सरकार जनता को लगातार महंगाई का जहर देकर जान निकालने पर आमादा हो चुकी है। लग रहा है कि सरकार ने जनता पर अतिरिक्त बोझ लादने का एक सूत्रीय कार्यक्रम तय कर लिया है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि ताजा फरमान में अब प्रदेश सरकार ने हिमाचल में नई-पुरानी गाड़ियों की खरीद को और महंगा कर दिया है। प्रदेश में अब व्हीकल रजिस्ट्रेशन फीस जो 2.50 से 4 फीसदी होती थी, उसे अचानक बढ़ाकर 15 फीसदी तक कर दिया है। जिसका असर हर गाड़ी के खरीददार पर अलग तरह से होगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सरकार अभी तक भी कोविड-19 काल में रुकी परिवहन व्यवस्था को बहाल नहीं कर पा रही है और जनता को मजबूरन नई-पुरानी गाड़ियां खरीदकर काम पर व कार्यालयों के लिए आना-जाना पड़ रहा है। जिसके लिए लोग जैसे-कैसे नए-पुराने वाहन खरीदकर अपने काम पर जाने के लिए महंगा सफर करने के लिए मजबूर हैं। क्योंकि सरकार अभी पूरी तरह से सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बहाल नहीं कर पाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी इक्का-दुक्का बसें पहुंच पा रही हैं। ऐसे में सरकार ने गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन फीस को 15 फीसदी तक बढ़ाकर महंगाई का नया तोहफा दिया है। 

उन्होंने कहा कि यही नहीं पुरानी गाड़ियों की खरीद व इक्यूपमेंट गाड़ियों पर भी अब इस बढ़ोतरी से ज्यादा टैक्स की मार पड़ेगी। राज्य सरकार ने गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन फीस को तीन गुना बढ़ाकर अब जनता की आफत और बढ़ाई है। ऐसे में जैसे-कैसे जुगाड़ करके नई-पुरानी गाड़ी खरीदने वालों के लिए अब गाड़ी खरीदना आसान न होगा। पुरानी हो चुकी गाड़ियों की 15 साल बाद की रजिस्ट्रेशन फीस में भी बदलाव किया गया है। पुरानी गाड़ी बेशक अब कबाड़ के भाव में बिके लेकिन सरकार उस गाड़ी पर 1 लाख रुपए की रजिस्ट्रेशन फीस वसुलेगी। क्योंकि अब सरकार ने पुरानी गाड़ियों की न्यूनतम कीमत को 1 से 4 लाख रुपए तक निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि समझ में यह नहीं आ रहा है कि सरकार अब हर तरह से आम जनता की जेबों पर डाका डालने के नए-नए पैंतरे किस कारण से अपना रही है? 

उधर अक्तूबर माह में आए बेरोजगारी के आंकड़े बताते हैं कि अक्तूबर माह में बेरोजगारी और बढ़ गई है। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी की रपट बता रही है कि बीते अक्तूबर माह में बेरोजगारी की दर बढ़कर 6.98 फीसदी पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि सरकार की मनमानी का यही रवैया रहा तो देश और प्रदेश में लगातार बढ़ रही महंगाई व बेरोजगारी के कारण अराजकता का माहौल बढ़ेगा। जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से डबल इंजन की सरकार पर होगी। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में बढ़ रही आर्थिक तंगी ने समाज में डिप्रेशन के मरीजों में भारी इजाफा किया है।

आर्थिक समस्याओं से जूझ रही जनता भविष्य को लेकर गहरे अवसाद में है। करोड़ों की संख्या में लोगों की नौकरियां छिन चुकी हैं। उद्योग, धंधे व छोटे कारोबार चौपट हो चुके हैं। जनता को भविष्य के प्रति नकारात्मक अशांकाओं ने घेर रखा है। आसमान छूती महंगाई के इस युग ने आम आदमी का जीवन यापन मुश्किल में है। जनता की बचत जमा पूंजी राशि खर्च हो चुकी है। पारिवारिक जरूरतें पूर्ण करने के लिए व बैंकों के कर्जे की किश्तें चुकाने, भोजन, चिकित्सा, शिक्षा आदि मूलभूत जरूरतों के लिए पैसों की दिक्कत लगातार लोगों को गहरे अवसाद में धकेल रही है। जिस कारण से मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन सरकार के रवैये को देखते हुए लग रहा है कि सरकार को जनता से ज्यादा सत्ता व अपने साधन की चिंता ज्यादा है।

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