शहरी विकास मंत्री बोलीं, सरकार ने HPCA को अलॉट नहीं की कोई वन भूमि

Edited By Vijay, Updated: 13 Dec, 2018 09:16 PM

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क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला तथा होटल के निर्माण के लिए किसी प्रकार भी वन भूमि प्रदेश सरकार ने एच.पी.सी.ए. को अलॉट नहीं की थी। यह जानकारी शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने देहरा के विधायक होशियार सिंह द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दी। उन्होंने बताया...

धर्मशाला (जिनेश): क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला तथा होटल के निर्माण के लिए किसी प्रकार भी वन भूमि प्रदेश सरकार ने एच.पी.सी.ए. को अलॉट नहीं की थी। यह जानकारी शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने देहरा के विधायक होशियार सिंह द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दी। उन्होंने बताया कि राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक स्टेडियम गैर-मुमकिन अहाता किस्म को स्टेडियम निर्माण के लिए दिया गया था। इस भूमि पर न तो पेड़ों के कटान की अनुमति दी गई थी और न ही वन विभाग और किसी एजैंसी ने इसकी एवज में राशि जमा करवाई। मंत्री ने एच.पी.सी.ए. से संबंधित अनुमति दिए जाने के दस्तावेज भी सदन में रखे।

अनधिकृत निर्माण रोकने को साडा व टी.सी.पी. में शामिल किए जा रहे क्षेत्र

मंत्री ने कहा कि भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक शहरों एवं नगरों के साथ लगते क्षेत्रों में अनधिकृत व बेतरतीब निर्माण गतिविधियां रोकने के लिए क्षेत्रों को साडा व टी.सी.पी. में शामिल किया जा रहा है। यह जानकारी उन्होंने विधायक गर्ग द्वारा टी.सी.पी. व साडा के तहत शामिल किए क्षेत्रों को इससे बाहर करने या ढील दिए जाने संबंधी विषय पर लाए गए संकल्प प्रस्ताव पर दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में केवल 10 प्रतिशत क्षेत्र का ही शहरीकरण हुआ है जोकि देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत ही कम है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 55 योजना क्षेत्र एवं 35 विशेष क्षेत्र उक्त अधिनियम के अंतर्गत गठित किए गए हैं, जिनमें प्रदेश में गठित सभी 54 नगर निकायों, नगर निगमों/नगर परिषदों व नगर पंचायतों को शामिल किया गया है।

कैनिबेट में लाया जाएगा टी.सी.पी. का मामला

इस मामले पर विधायक विक्रम जरियाल, विनोद कुमार, सुखराम चौधरी व सतपाल रायजादा ने भी विचार रखे और क्षेत्रों के टी.सी.पी. में शामिल होने पर आ रही दिक्कतों के बारे में अवगत करवाया। मंत्री ने कहा कि विधायकों ने जो मामला उठाया है, उसे कैनिबेट में लाया जाएगा तथा जो भी उचित हुआ, वे कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विभिन्न न्यायालयों में तथा एन.जी.टी. द्वारा पारित आदेशों को भी मद्देनजर रखा जाएगा।

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