Edited By kirti, Updated: 24 Sep, 2018 10:11 AM
कई पुरानी डरावनी मान्यताओं व लोगों के दिलो-दिमाग को जकड़ कर बैठी जंजीरों को नए आविष्कार तोड़ रहे हैं। जिस अखरोट को लोग महज एक उपज समझ कर मात्र अपने लिए उपयोग में लाते थे अब वही अखरोट लोगों को मालामाल कर रहा है। ड्राई फ्रूट्स की श्रेणी में आने वाले...
कुल्लू : कई पुरानी डरावनी मान्यताओं व लोगों के दिलो-दिमाग को जकड़ कर बैठी जंजीरों को नए आविष्कार तोड़ रहे हैं। जिस अखरोट को लोग महज एक उपज समझ कर मात्र अपने लिए उपयोग में लाते थे अब वही अखरोट लोगों को मालामाल कर रहा है। ड्राई फ्रूट्स की श्रेणी में आने वाले इस फल की हिमाचल प्रदेश में मौजूदा दौर में पैदावार लगभग 1700 मीट्रिक टन है। जिला कुल्लू के विभिन्न इलाकों में भी अखरोट की काफी पैदावार होती है। अखरोट 100 से 200 रुपए प्रतिकिलो तक बिक रहा है।
बेहद पतले छिलके वाला उम्दा किस्म का अखरोट इससे भी महंगा है। कुछ वर्ष पहले तक अखरोट के पौधे लोग नहीं रोपते थे। आज भी अखरोट के पौधे को रोपना कई लोग अशुभ मानते हैं। अखरोट के पौधे को रोपने के बाद यह करीब 20-25 वर्षों के बाद फल देने की स्थिति में आएगा। अब यह मिथक टूट गया है और अखरोट की नई किस्में महज 3-4 वर्षों में ही फल दे रही हैं। 900 से 3,000 मीटर तक की ऊंचाई पर लगने वाला पूसा अखरोट लोग मिलकीयत भूमि पर रोप रहे हैं।
बेहद पतले छिलके वाले उम्दा किस्म के इस अखरोट की भारत के विभिन्न हिस्सों के अलावा विदेशों में भी मांग है। इसके अलावा विदेशी किस्में चाइले गिल्ट, फेरनार, फोर्ड व पायने टुलारे जैसी किस्में भी पौधा रोपने के महज 4-5 वर्षों में फल देने लगती हैं। ओमेगा-3 अखरोट एक ऐसी किस्म है जिसे दिल के मरीजों के लिए भी रामबाण औषधि माना गया है। हालांकि आज भी अखरोट के पौधे को रोपना अशुभ माने जाने के कारण बागवानी विभाग भी इसके ज्यादा पौधे नहीं मंगवा रहा है। बागवानी विभाग के मुताबिक सॢदयों में अखरोट के पौधे को रोपा जाता है। पिछले वर्ष जिलाभर में 1,000 पौधे रोपे गए।
अशुभता के पीछे यह वजह
कुछ वर्ष पहले तक अखरोट को लेकर मान्यता थी कि जो अखरोट का पौधा रोपेगा उसे इसके फल खाने को नहीं मिलेंगे। अर्थात अखरोट के पेड़ पर जब तक फल लगेंगे, तब तक इसे रोपने वाले की मौत हो जाएगी। यह मान्यता किसी के दिलो-दिमाग में इसलिए भी बस गई क्योंकि अखरोट का पौधा रोपने के करीब 20-25 वर्षों बाद फल देगा।
यदि कोई व्यक्ति 60 वर्ष की उम्र में पौधा रोपेगा तो 85 वर्ष की उम्र तक पहुंचने से पहले कई बार किसी बीमारी या हादसे की वजह से वह दुनिया से रुखसत हो जाएगा, ऐसे में लोगों के दिलो-दिमाग में इस बात ने और पक्का घर बना लिया। अब महज 4 वर्षों में ही फल देने वाली किस्मों ने लोगों की इस सोच को खत्म-सा कर दिया है लेकिन फिर भी अखरोट का पौधा रोपते समय मन में संशय बना रहता है।