मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ के सुरक्षा मानकों का सरकार करे पूरा ख्याल : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 13 Apr, 2020 04:26 PM

full care of the safety standards of medical staff rana

राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि कोविड-19 अस्पतालों में इलाज कर रहे मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा से कोई समझौता न हो। उन्होंने कहा कि उन्हें फीडबैक दी गई है कि टांडा, आईजीएमसी शिमला, मण्डी व अब हमीरपुर में...

हमीरपुर : राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि कोविड-19 अस्पतालों में इलाज कर रहे मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा से कोई समझौता न हो। उन्होंने कहा कि उन्हें फीडबैक दी गई है कि टांडा, आईजीएमसी शिमला, मण्डी व अब हमीरपुर में कोविड-19 से प्रभावित मरीजों को उपचार दे रहे स्टाफ के पास माकूल सुरक्षा उपकरण मौजूद नहीं हैं। कमोवेश यह स्थिति पूरे प्रदेश में एक जैसी बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि भोटा कोविड सेंटर में हमीरपुर मेडिकल कॉलेज से जिन 15 लोगों का स्टाफ उपचार के लिए भेजा गया है उनके पास पहले दो रोज बुनियादी सुरक्षा सुविधाएं मौजूद नहीं थी। जोकि एक तरह से मेडिकल स्टाफ की जान से खेलने जैसा है। उन्होंने दोबारा दोहराते हुए सरकार से आग्रह किया है कि पैरा मेडिकल स्टाफ जो कि कोविड सेंटरों में डयूटी कर रहे डाक्टरों के साथ तैनात है। उनके हाई रिस्क को देखते हुए सरकार उन्हें तुरंत 50 लाख के इंश्योरेंस दायरे में लाए ताकि हाई रिस्क के चलते इनके परिजनों में सामाजिक सुरक्षा की भावना बनी रहे व इनका मनोबल बरकरार रहे। उन्होंने आग्रह किया है कि प्रदेश सरकार कोविड-19 के इलाज में लगे हुए आउटसोर्स कर्मचारियों व मेडिकल स्टाफ के वेतन को हरियाणा की तर्ज पर दोगुना करने का प्रयास करे।

उन्होंने कहा कि आउटसोर्स स्टाफ जोकि मेडिकल स्टाफ के रीड की हड्डी है। इस वक्त इलाज का सारा दारोमदार इसी आउटसोर्स स्टाफ पर है ऐसे में इनकी सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना सरकार का पहला फर्ज बनता है। उन्होंने कहा कि अगर संभव हो सके तो चंडीगढ़ प्रशासन की तर्ज पर डोर स्टेप पर हर आदमी की जांच की जाए। ऐसी स्थिति में प्रदेश को पूरी तरह से महफूज रखने में जबरदस्त सहायता मिलेगी। उधर राणा ने क्वारिंटाईन की अव्यवस्था को लेकर भी चिंता व्यक्त की है कि ऊना, स्वारघाट जैसे राज्य की सीमाओं पर जो लोग एहतियाती तौर पर क्वारिंटाईन किए गए है, उन्हें 14 दिन बाद भी कुछ स्पष्ट नहीं किया जा रहा है। जिस कारण से इन क्वारिंटाईन कैंपों व उनके परिजनों दोनों तरफ ही चिंताजनक माहौल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रशासन यह न भूले कि क्वांरटाईन में रह रहे लोग सरकार के फैसले का सम्मान व सहयोग कर रहे हैं। इसलिए इनकी भावनाओं का सम्मान होना जरुरी है।
 

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