मुरम्मत की बाट जोह रहा बिलासपुर में बना किसान भवन

Edited By Simpy Khanna, Updated: 21 Oct, 2019 12:39 PM

farmers building in bilaspur is waiting for repair

देश में आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में बिलासपुर जिला के उस समय गेहड़वीं विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए जनता पार्टी के विधायक सरदार वचित्र सिंह को प्रथम बार जिला से कैबिनेट मंत्री पद से सुशोभित किया गया था। उन्हें कृषि मंत्री बनाए जाने पर उन्होंने...

बिलासपुर (राम सिंह): देश में आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में बिलासपुर जिला के उस समय गेहड़वीं विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए जनता पार्टी के विधायक सरदार वचित्र सिंह को प्रथम बार जिला से कैबिनेट मंत्री पद से सुशोभित किया गया था। उन्हें कृषि मंत्री बनाए जाने पर उन्होंने किसानों के हित साधन और उनके लिए समय-समय पर कृषि संबंधी प्रशिक्षण और सैमीनार आयोजित करने तथा उनके रात्रि विश्राम के लिए नगर के चंगर सैक्टर में केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता से 32 लाख रुपए के व्यय से दो मंजिला किसान भवन का निर्माण करवाया था।

ग्राम्य नेताओं सुखदेव चंदेल, पूर्व प्रधानों विजेंद्र चंदेल, गौरा देवी, वीना चंदेल और उपप्रधान जगदीश चंदेल और सीता राम शर्मा, जगत राम शर्मा, कैप्टन बालक राम शर्मा, भाग सिंह ठाकुर और ज्ञान शर्मा का कहना है कि गत इन सभी वर्षों में इस भवन में किसानों के हित में कोई भी गतिविधि आयोजित नहीं होती रही है और इस भवन का अब केवल मात्र विवाह-शादियों व राजनीतिक दलों के सम्मेलन आदि आयोजित करने के लिए ही प्रयोग होता रहा है, जबकि ग्रामीणों के ठहरने की भी वहां कोई उचित व्यवस्था नहीं है।

उनका कहना है कि अब केवल मात्र कुछ समय के लिए धरातल मंजिल के एक कमरे को बीज बिक्री के लिए प्रयोग किया जाता है, लेकिन वहां भी न तो किसानों को समय पर बीज उपलब्ध होते हैं और न ही उस बीज विक्रय केंद्र के खुलने व बंद होने का ही कोई निश्चित समय है, जिसका लाभ भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है।ग्रामीण नेताओं एवं किसानों का कहना है कि इस भवन का राजनीतिक दलों व विवाह समारोहों के लिए सदुपयोग हो, इससे उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, किन्तु इस भवन निर्माण के उद्देश्यों के अनुरूप किसानों और बागवानों के लिए संबंधित विभाग को यहां आधुनिक खेती की तकनीकें प्रचारित व प्रसारित करने और सुधरे हुए बीज उपलब्ध करवाने तथा मौसम की जानकारी सहित समय-समय पर प्रशिक्षण शिविरों के लिए सदुपयोग किया जाना चाहिए और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले किसानों व बागवानों को यहां रात्रि विश्राम की उपयुक्त व्यवस्था की जानी चाहिए।

इस भवन का अन्य समारोहों के लिए भारी उपयोग किए जाने के बावजूद इसमें बनाए गए शौचालयों की दशा अत्यंत दयनीय है और मुख्य द्वार पर प्रवेश करते ही इससे उठने वाली दुर्गंध आने वालों का स्वागत करती है, जबकि इसके मुख्य हाल में पंखे तक नहीं चलते हैं और बिजली की ट्यूबें व बल्ब आदि भी काम नहीं करते हैं।

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