किसानों ने टावर लाइन बिछाने का जताया विरोध, पुलिस पर जड़े गंभीर आरोप

Edited By Vijay, Updated: 30 May, 2019 03:46 PM

farmer blame on police

बिलासपुर में टावर लाइन के विरोध में स्थानीय लोगों ने पुलिस प्रशासन पर निजी कंपनियों के साथ मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं। टावर लाइन शोषित जागरूकता मंच ने आरोप लगाया कि निजी कंपनी ने स्थानीय लोगों की अनुमति लिए बगैर ही टावर लाइन बिछा दी और लोगों को...

शिमला (योगराज): बिलासपुर में टावर लाइन के विरोध में स्थानीय लोगों ने पुलिस प्रशासन पर निजी कंपनियों के साथ मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं। टावर लाइन शोषित जागरूकता मंच ने आरोप लगाया कि निजी कंपनी ने स्थानीय लोगों की अनुमति लिए बगैर ही टावर लाइन बिछा दी और लोगों को उनकी जमीन पर टावर लगाने का मुआवजा तक नहीं दिया। उक्त कंपनी ने सबलैटिंग पर कई लोगों को काम दिया लेकिन किसानों की जमीनों पर टावर व तारें बिछाने के बदले उन्हें कोई पैसा नहीं दिया। गैर-कानूनी तरीके से नियमों की अवहेलना कर टावर व तारें बिछाई गईं। लोगों ने जब इसका विरोध किया तो उन्हें डराया-धमकाया गया। लोगों ने पूर्व कांग्रेस सरकार और प्रदेश कि वर्तमान सरकार के सामने भी न्याय की गुहार लगाई लेकिन कहीं से भी किसानों को राहत नहीं मिली। टावर की वजह से लोगों के घर और खेतीबाड़ी भी पूरी तरह से तबाह हो गई है।

विधानसभा में भी उठाया मामला परंतु नहीं हुई कार्रवाई

बिलासपुर टावर लाइन शोषित जागरूकता मंच के अध्यक्ष रजनीश शर्मा ने बताया कि टावर लाइन लगाते बार भी लोगों ने इसका विरोध किया लेकिन पुलिस ने जबरन टावर लाइन लगा दी। स्थानीय प्रशासन व पुलिस ने इसमें कंपनी की सहायता की। मामले को 2017 में भी विधानसभा में उठाया गया था। इन विषय को लेकर सरकार को ज्ञापन भी दिए लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। मंच ने ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा पर मामले में कंपनी का पक्ष लेने का आरोप लगाया। मंच ने समूचे मामले को लेकर अब सी.बी.आई. जांच की मांग उठाई है और सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इसमें सी.बी.आई. जांच और किसानों को मुआवजा नहीं मिलता है तो किसान टावरों को गिराने में भी पीछे नहीं हटेंगे।

अपात्र लोगों को दे दिए 20-20 लाख रुपए

फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट ने जांच के आदेश भी दिए थे, जिस पर एस.डी.एम. एम.एल. मेहता ने गलत जांच रिपोर्ट दी। मंच को यकीन है कि एस.डी.एम. ने रिश्वत खाई है। उसके बाद आए एस.डी.एम. ने 12 पेज की रिपोर्ट बनाई। इस मामले में 2 नामी कंपनियों को पार्टी बनाया गया है। मामले को लेकर 2015 में जब साढ़े 400 लोगों ने मुआवजे की मांग की तो उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया जबकि 20 लोगों को 20-20 लाख रुपए दिए गए जोकि पात्र ही नहीं थे।

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