Edited By Ekta, Updated: 21 Aug, 2018 01:46 PM
आपने कोई ऐसा कॉलेज देखा है, जहां न पढ़ाने के लिए अध्यापक हो, न कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारी और न ही उसकी देख-रेख के लिए कोई चपरासी। आज हम आपको ऐसे ही अनोखे शिक्षण संस्थान के दर्शन करवाते हैं। यह कॉलेज प्रदेश सरकार द्वारा चलाया जा रहा है और यह...
सोलन (चिनमय): आपने कोई ऐसा कॉलेज देखा है, जहां न पढ़ाने के लिए अध्यापक हो, न कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारी और न ही उसकी देख-रेख के लिए कोई चपरासी। आज हम आपको ऐसे ही अनोखे शिक्षण संस्थान के दर्शन करवाते हैं। यह कॉलेज प्रदेश सरकार द्वारा चलाया जा रहा है और यह सिरमौर के नारग में स्थित है।जिसकी घोषण पूर्व की कांग्रेस सरकार ने की थी जिसे भाजपा सरकार ने इस वर्ष से शुरू किया है। आपको बता दें कि 12वीं के बाद नारग के युवा सोलन के सरकारी कॉलेज में शिक्षा लेने आते थे।
इस बार भी वह सोलन एडमिशन लेने आए थे लेकिन उन्हें जबरन नारग के कॉलेज में एडमिशन लेने का दवाब बनाया गया। जिसके चलते इस कॉलेज में 35 विद्यार्थियों ने एडमिशन ली। एडमिशन लिए अब डेढ़ महीने से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया कि आखिर उन्हें कौन पढ़ाएगा और उनका भविष्य कैसा होगा। अब ग्रामीण अपने बच्चों का भविष्य अंधकार में जाते देख सुर्ख नजर आ रहे हैं और इस लिए वह एक सप्ताह से सटाफ की मांग कर रहे हैं और धरने प्रदर्शन पर बैठे हैं। लेकिन स्थानीय विधायक सुरेश कश्यप और भाजपा सरकार इस पर कोई उचित कार्रवाई नहीं कर रही है।
नारग के समाज सेवी आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष कुमार ने बताया कि कॉलेज में बिलकुल भी स्टाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि पच्छाद के विधायक नारग आ रहे हैं लेकिन वह धरने पर बैठे लोगों के पास उनकी सुध लेने नहीं आ रहे। जिसे देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि शायद उन्हें जनता के बीच आने में उन्हें अब शर्म महसूस हो रही है क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में युवाओं के लिए कोई कार्य नहीं किया है। यहां तक कि कॉलेज आरम्भ करवा दिया गया लेकिन स्टाफ के नाम पर चपरासी तक की नियुक्ति नहीं की गई है।