बागवानों के लिए प्रेरणास्रोत बने दुरगेेला के पूर्ण चंद

Edited By prashant sharma, Updated: 10 Jun, 2021 11:35 AM

durgela s poorna chand became a source of inspiration for the gardeners

जिला कांगड़ा का शाहपुर आमों की बागवानी के साथ सेबों की बागवानी में हाथ आजमाते हुए अपनी अलग पहचान बना रहा है। शाहपुर तहसील के गांव दुरगेला के बागवान पूर्ण चंद ने प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद 3 सालों के भीतर सेबों के साथ कुछ ऐसा प्रयोग कर...

धर्मशाला (ब्यूरो): जिला कांगड़ा का शाहपुर आमों की बागवानी के साथ सेबों की बागवानी में हाथ आजमाते हुए अपनी अलग पहचान बना रहा है। शाहपुर तहसील के गांव दुरगेला के बागवान पूर्ण चंद ने प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद 3 सालों के भीतर सेबों के साथ कुछ ऐसा प्रयोग कर दिखाया कि अब वे आस-पास के बागवानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। अब क्षेत्र में जब भी सेब की उम्दा पैदावार का जिक्र होता है तो पूर्ण चंद का नाम एक मिसाल के तौर पर लिया जाता है। पूर्ण चंद ने वर्ष 2018 में प्रदेश के बागवानी विभाग के मार्गदर्शन एवं सहयोग से सेब का बगीचा लगाया था। उनकी कड़ी मेहनत से 2 वर्ष के भीतर पौधों में फल आने शुरू हो गए। उन्होंने गत वर्ष लगभग 6 किं्वटल सेब बेचा।

उनके बगीचे की विशेषता है कि वह अपने बगीचे में किसी रासायनिक खाद या स्प्रे का प्रयोग नहीं करते। इसके स्थान पर वह विभिन्न तरह से बनाये जानी वाली जैविक खादें, जोकि दालों, किचन वेस्ट, ऑयल सीड, गौमूत्र तथा गोबर द्वारा बनाई जाती हैं, का ही प्रयोग करते हैं। वह यह सब ख़ुद ही तैयार करते हैं। पूर्ण चन्द कहते हैं कि इस बार सेब की फसल काफी अच्छी थी। लेकिन पिछले दिनों हुई ओलावृष्टि तथा तूफान से उन्हें नुकसान पहुंचा है। बावजूद इसके वह अब तक लगभग एक किं्वटल सेब बेच चुके हैं। सेबों की गुणवत्ता के चलते खरीददार उनके घर पर आकर ही सेब खरीद ले जाते हैं। उन्होंने जमीन लीज पर लेकर सेब के लगभग 25 हजार पौधौं की नर्सरी भी तैयार कर ली है। उनके पौधे गुजरात और महाराष्ट्र तक अपनी पहचान बना चुके हैं। पूर्ण चंद ने बताया कि इस वर्ष सर्दियों के मौसम में उन्होंने लगभग दो से अढ़ाई हजार पौधे बेचे। इस दौरान करीब 25 परिवारों ने लगभग 50-50 पौधे लगाए हैं। वह सेब के पौधे लगाने में ख़ुद लोगों की मदद करते हैं।

प्रदेश सरकार द्वारा पौधों पर सब्सिडी के अलावा एन्टी हेलनेट के लिए भी पूर्ण चन्द को 80 प्रतिशत उपदान दिया गया है। इस समय उन्होंने 3-4 कनाल के बगीचे में लगभग 150 अन्ना तथा डोरसेट प्रजाति के पौधे लगाए हैं। उन्होंने अपने बगीचे में ओलावृष्टि तथा पक्षियों से बचाव हेतु एन्टी हेलनेट भी लगाई है। जिला कांगड़ा उद्यान विभाग के उपनिदेशक डाॅ. कमलशील नेगी कहते हैं कि जिला काँगड़ा में 41 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जाती है। जिला में 47,000 हजार मीट्रिक टन फलों की पैदावार होती है। जिला में 530 हेक्टेयर भूमि पर सेब के पौधे लगाए गए हैं, जिसमें 330 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हो रहा है। सेब के बगीचे अभी कुछ वर्ष पहले ही लगाए गए हैं। अभी इसकी पैदावार कम है।

उपनिदेशक ने बताया कि अधिकतर सेब के बगीचे बैजनाथ विकास खण्ड में लगाए गए हैं। ज़िला में लो चिलिंग वेरायटी, अन्ना और डोरसेट के पौधे लगाए गए हैं और इस किस्म के सेब 10 जून तक तैयार हो जाते हैं। इन दिनों प्रदेश के किसी भी हिस्से में सेब तैयार न होने के कारण बागवानों को बाज़ार में अच्छे दाम मिल जाते हैं। विकास खण्ड, रैत के बागवानी विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता कहते हैं कि पिछले तीन वर्षों से यहाँ के किसानों का रूझान बागवानी की ओर बढ़ा है। बागवानों ने सेब, कीवी तथा अमरूद के पौधे लगाए हैं। शाहपुर के दुरगेला, भनाला, बंडी, रजोल, डढम्ब आदि स्थानों के किसानों ने सेब के पौधे लगाए हैं। इन पौधों से फसल मिलना आरम्भ हो गई है।
 

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