जेल प्रशासन का कारनामा, सजायाफ्ता कैदी से मिली नशे की खेप की दफना दी जांच

Edited By Vijay, Updated: 16 Apr, 2018 12:48 AM

deed of jail administration case buried in recovered drug from prisoner

अपनों को बचाने के लिए मामले किस तरह से दफन किए जाते हैं, ये हिमाचल के सरकारी तंत्र से जानिए। यहां हमीरपुर कारागार में करीब अढ़ाई साल पहले एक सजायाफ्ता कैदी के पास से भांग की पत्तियां व कण (अफीम) कारागार के भीतर बरामद हुए लेकिन कोई कार्रवाई किए जाने...

हमीरपुर: अपनों को बचाने के लिए मामले किस तरह से दफन किए जाते हैं, ये हिमाचल के सरकारी तंत्र से जानिए। यहां हमीरपुर कारागार में करीब अढ़ाई साल पहले एक सजायाफ्ता कैदी के पास से भांग की पत्तियां व कण (अफीम) कारागार के भीतर बरामद हुए लेकिन कोई कार्रवाई किए जाने की बजाय इस मामले को ही दफना दिया गया। हालांकि कारागार के भीतर नशीले पदार्थ पहुंचना अपने आप में ही एक संगीन मामला था, जिसमें वहां तैनात कर्मचारियों की संलिप्तता से भी इंकार नहीं किया जा सकता था लेकिन हर कोई इस मामले को दबाने में लगा रहा। जानकारी के अनुसार मामले की शुरूआत से ही जेल प्रशासन इस मामले में कार्रवाई करने की बजाय मामले को दबाने की कोशिशों में लगा रहा। 


क्या था पूरा मामला
जानकारी के अनुसार मामला अगस्त, 2015 का है, जब एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत जेल में सजायाफ्ता एक कैदी की तलाशी लेने पर ड्यूटी पर तैनात हैड वार्डन व वार्डन द्वारा उसके पास से भाग की पत्तियां व कण (अफीम) पाए जाने की पुष्टि हुई थी, जिस पर जब जांच शुरू हुई तो कैदी द्वारा लिखित में माफी मांगने पर जेल प्रशासन ने भी उसे एक माह तक बैरक की सफाई किए जाने की सजा दी जबकि जेल के भीतर नशीला निषेध पदार्थ कहां से आया, इस मामले को ही दबा दिया गया। 


क्या था बंदी का माफीनामा
माफीनामे में बंदी ने अनुशासनहीनता किए जाने का उल्लेख किया था जबकि मामला नशीले पदार्थ की बरामदगी का था। सूत्र बताते हैं कि जेल प्रशासन द्वारा अपने उच्चाधिकारियों को उस समय मामले को मामूली घटना बनाए जाने की कोशिश की गई थी ताकि मामला रफा-दफा किया जा सके क्योंकि जेल के भीतर नशीले पदार्थों की खेप पहुंचना जेल में कार्यरत तत्कालीन कुछेक कर्मचारियों की कथित मिलीभगत के कारण ही संभव हो सकता था। 


अधिकारी की ट्रांसफर के बाद ठंडी पड़ी जांच
गौरतलब है कि उस समय पंजाब केसरी समाचार पत्र ने इस मामले को हमीरपुर जेल में नशे का कारोबार शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित किया था तथा तत्कालीन जेल अधीक्षक  कृतिका कुल्हारी ने इस मामले में जांच भी बिठाई थी लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद मामला फिर दब कर रह गया। 


5 बंदियों के फरार होने पर सुर्खियों में रह चुकी है जेल
इसी जेल से वर्ष 2014 में 5 बंदी भी दीवार फांदकर फरार हुए थे जिसके बाद जेल में बरती जा रही लापरवाही उजागर हुई थी व ड्यूटी पर कोताही बरतने पर एक कर्मचारी को निलंबित भी किया था। उस समय भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जेल प्रशासन की काफी किरकिरी हुई थी। 


मामले की नए सिरे से होगी जांच 
अधीक्षक जेल एवं एस.डी.एम. हमीरपुर अरिंदम चौधरी ने कहा कि उनके यहां कार्यभार संभालने से पहले का यह मामला है, जिसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। फिर भी इस मामले की रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। कोताही किस स्तर पर हुई थी और नशीले पदार्थों की खेप जेल के भीतर कैसे मुहैया हुई है, इसकी नए सिरे से जांच करवाई जाएगी। 

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