अवैध मक डंपिंग के मामले में नपे 3 अधिकारी, कोर्ट ने सुनाई ये सजा

Edited By Vijay, Updated: 05 Jul, 2019 11:16 PM

court gave punishment to 3 officers in illegal muc dumping case

चमेरा-3 जलविद्युत परियोजना के निर्माण कार्य के दौरान अवैध रूप से मक डंपिंग को अंजाम देने के मामले में सी.जे.एम. चम्बा अभय मंडियाल की अदालत ने एन.एच.पी.सी. के 3 तत्कालीन अधिकारियों को मामले का दोषी करार देते हुए 6 माह की कैद व 5,000 रुपए जुर्माने की...

चम्बा (विनोद): चमेरा-3 जलविद्युत परियोजना के निर्माण कार्य के दौरान अवैध रूप से मक डंपिंग को अंजाम देने के मामले में सी.जे.एम. चम्बा अभय मंडियाल की अदालत ने एन.एच.पी.सी. के 3 तत्कालीन अधिकारियों को मामले का दोषी करार देते हुए 6 माह की कैद व 5,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने की एवज में दोषियों को 1 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यही नहीं, अदालत ने अपने फैसले में वन विभाग द्वारा काटी गई 9 लाख रुपए की डैमेज रिपोर्ट की राशि को भी इन तीनों को व्यक्तिगत तौर पर भरने के आदेश सुनाए। मामले की पुष्टि सी.सी.एफ. चम्बा ओ.पी. सोलंकी वन सर्कल चम्बा ने की।

जानकारी के अनुसार वर्ष 2008 में वन मंडलाधिकारी भरमौर ई. विक्रम ने चमेरा-3 जलविद्युत परियोजना के खिलाफ  मक डंपिंग के लिए स्वीकृत भूमि की बजाय ऐसी वन भूमि पर मनमर्जी से अवैध रूप से मक डंपिंग करने की प्रक्रिया को अंजाम देने का मामला सामने आने पर जांच प्रक्रिया शुरू की थी। चमेरा-3 जलविद्युत परियोजना के इस निर्माण कार्य के दौरान वन विभाग ने जब इस मामले की जांच की तो उसने पाया कि एन.एच.पी.सी. ने 10,000 क्यूबिक मीटर मलबे को अवैध रूप से वन भूमि पर मनमर्जी से ठिकाने लगाया है। इस पर एन.एच.पी.सी. के खिलाफ वन विभाग ने अपनी जांच प्रक्रिया को शुरू किया और यह जांच प्रक्रिया करीब 3 वर्ष तक चली रही।

एक समय में तो यह लगने लगा कि यह मामला अब ठंडे बस्ते में चला गया है लेकिन वर्ष 2011 में आर.ओ. के पद का कार्यभार संभालने वाले वन अधिकारी डॉ. कुलदीप सिंह जम्वाल ने इस मामले की जांच प्रक्रिया को पूरा करने के बाद एन.एच.पी.सी. चमेरा-3 के खिलाफ वन अधिनियम 1927 की धारा 32 व 33 के तहत अदालत में चालान पेश किया। वन विभाग ने एन.एच.पी.सी. के खिलाफ इस मामले में 4 चालान काटे। अब 8 वर्ष बाद अदालत ने इस मामले पर 17 जून को अपना फैसला सुनाते हुए एन.एच.पी.सी. चमेरा-3 के 3 तत्कालीन अधिकारियों को भारतीय वन अधिनियम की धाराओं का दोषी करार देते हुए तत्कालीन चमेरा-3 के जी.एम. डैम साइट संजीव अग्रवाल, साइट प्रभारी ए.के. मल्होत्रा व डी.एम. कुलवंत को 6 माह के कारावास व 5,000 रुपए प्रति व्यक्ति जुर्माने की सजा सुनाई है। इसके अलावा अदालत ने 9 लाख रुपए की वन विभाग द्वारा काटी गई डैमेज रिपोर्ट की राशि का भुगतान भी इन तीनों दोषियों को करने के आदेश सुनाए।

वन सर्कल चम्बा के सी.सी.एफ. ओ.पी. सोलंक ने बताया कि वन मंडल भरमौर ने एन.एच.पी.सी. चमेरा-3 के खिलाफ अवैध मक डंपिंग का जो मामला तैयार करके माननीय अदालत में पेश किया था उस पर बीते माह सी.जे.एम. चम्बा की अदालत ने फैसला सुनाया है और 3 तत्कालीन एन.एच.पी.सी. के अधिकारियों को दोषी करार देते हुए कैद व जुर्माने की सजा सुनाई है।

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