बहुचर्चित कंडक्टर भर्ती घोटाला: HRTC के CGM की अग्रिम जमानत पर टली सुनवाई

Edited By Ekta, Updated: 18 Jun, 2019 10:58 AM

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बहुचर्चित कंडक्टर भर्ती घोटाले में एच.आर.टी.सी. के सी.जी.एम. हेमेंद्र गुप्ता की अग्रिम जमानत पर जिला एवं सत्र अदालत में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने अग्रिम जमानत पर सुनवाई को टाल दिया है और अगली सुनवाई...

शिमला (जस्टा): बहुचर्चित कंडक्टर भर्ती घोटाले में एच.आर.टी.सी. के सी.जी.एम. हेमेंद्र गुप्ता की अग्रिम जमानत पर जिला एवं सत्र अदालत में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने अग्रिम जमानत पर सुनवाई को टाल दिया है और अगली सुनवाई के लिए 18 जून की तिथि तय की है। कोर्ट इस सुनवाई में फैसला ले सकता है कि सी.जी.एम. को जमानत मिलेगी या नहीं। कंडक्टर भर्ती मामले में अदालत के आदेश पर 2 साल पहले शिमला के सदर थाने में बिलासपुर के नम्होल निवासी जय कुमार ने एफ.आई.आर. दर्ज करवाई थी। इस मामले में एस.आई.टी. ने चार्जशीट तैयार कर दी है। 

पुलिस चार्जशीट को आरोपी अधिकारी की अग्रिम जमानत के बाद ही कोर्ट में पेश करेगी। पुलिस द्वारा तैयार की गई चार्जशीट में कई खुलासे हो सकते हैं। एस.आई.टी. की जांच में जिन 23 अभ्यर्थियों को नौकरी देने के नाम सामने आए हैं, उन्हें फिलहाल नौकरी तो नहीं दी गई थी लेकिन बिना इंटरव्यू के नंबर दिए गए थे। साक्षात्कार में इन अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यताओं के नंबर जोड़ दिए गए थे और इंटरव्यू के कुछ दिन बाद चेयरमैन ने अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर करवाए थे। मामले को लेकर एस.आई.टी. की जांच जारी है। कोर्ट आज सी.जी.एम. के भाग्य पर फैसला ले सकता है।

यह है मामला

एच. आर.टी.सी. निदेशक मंडल ने 24 अक्तूबर, 2003 को कंडक्टरों के 300 पदों को भरने को मंजूरी दी थी। इस भर्ती के लिए करीब 20,000 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए, जिनमें से 14,107 ने लिखित परीक्षा दी। इस बीच निगम ने 65 और पदों को भरने की मंजूरी दी और 365 पदों पर चयन किया गया लेकिन बाद में भी एच.आर.टी.सी. ने 13 और पदों को बिना किसी मंजूरी के ही भर दिया। इस तरह कुल 378 पदों पर भर्तियां की गईं। पूर्व भाजपा सरकार के समय में 2012 में डी.एस.पी. रैंक के एक अधिकारी ने इन भर्तियों में धांधलियां पाई थीं। जांच में पाया गया था कि इस भर्ती में लिखित व साक्षात्कार के 55 अंक रखे गए थे और कुल मिलाकर 35 अंक उत्तीर्ण होने के लिए जरूरी थे लेकिन 378 को छोड़कर कोई भी अभ्यर्थी 35 अंकों का आंकड़ा नहीं छू पाया। इसके बाद भर्तियों में धांधली का आरोप लगाते हुए बिलासपुर निवासी जय कुमार ने शिमला की एक अदालत में याचिका दायर की थी।

 

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