Edited By Simpy Khanna, Updated: 17 Sep, 2019 10:04 AM
बंदर के काटने पर अब 5 हजार रुपए से अधिक की धनराशि मुआवजे के रूप में वन विभाग नहीं देगा। विभाग प्रभावित को अधिकतम 5 हजार रुपए राहत के रूप में प्रदान करेगा, वहीं प्रभावित के उपचार पर हुआ वास्तविक व्यय यदि 5 हजार रुपए से कम है तो उतनी राहत ही प्रभावित...
पालमपुर (भृगु) : बंदर के काटने पर अब 5 हजार रुपए से अधिक की धनराशि मुआवजे के रूप में वन विभाग नहीं देगा। विभाग प्रभावित को अधिकतम 5 हजार रुपए राहत के रूप में प्रदान करेगा, वहीं प्रभावित के उपचार पर हुआ वास्तविक व्यय यदि 5 हजार रुपए से कम है तो उतनी राहत ही प्रभावित को प्रदान की जाएगी। यदि इससे अधिक धनराशि उपचार पर व्यय होती है तो इसे प्रभावित को स्वयं ही वहन करना होगा।
आंकड़ों अनुसार औसतन हर तीसरे दिन बंदर आदमी पर हमला कर रहा है। 5 वर्ष की अवधि में 603 मामले वन विभाग के समक्ष ऐसे रिपोर्ट हुए हैं जहां बंदरों ने आदमी पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया, वहीं अनेक मामले ऐसे भी हैं जो रिपोर्ट ही नहीं हुए। वर्ष 2013-14 में सबसे अधिक 175 मामले वन विभाग के समक्ष पहुंचे जहां बंदर ने हमला कर मनुष्य को काटा।
वर्ष 2011-12 में 169 तथा 2012-13 में 168 मामले वन विभाग के समक्ष पहुंचे। चौंकाने वाला पहलू यह है कि गत 3 वर्षों से वन विभाग के समक्ष बंदर काटने के नगण्य मामले ही रिपोर्ट हुए हैं। बंदरों की गणना के अनुसार यदि बंदरों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में कमी आई है परंतु कांगड़ा जनपद की 760 पंचायतों में से 690 पंचायतें कमोबेश बंदरों की समस्याओं से प्रभावित हैं।