Edited By Vijay, Updated: 17 Jan, 2024 11:11 PM
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आने वाले दिनों में विशेष बच्चों के लिए प्रदेश सरकार अलग तरह के स्कूल व काॅलेज खोलेगी। अभी अन्य स्कूलों में ही विशेष बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
गलोड़ (पुनीत/ मिलाप): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आने वाले दिनों में विशेष बच्चों के लिए प्रदेश सरकार अलग तरह के स्कूल व काॅलेज खोलेगी। अभी अन्य स्कूलों में ही विशेष बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अब उन्हें ऐसे स्कूल खोले जाएंगे, जिनमें उनके लिए उनकी मनमुताबिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकें। विशेष बच्चे उनसे पिछले दिनों मिले थे तथा उनसे यह समस्या बताई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अत्यंत पीड़ादायक लगा कि उनके लिए अलग से शिक्षा ग्रहण के लिए हिमाचल में शिक्षण संस्थान ही नहीं है। हमारी सरकार उनकी इस मांग को पूरा करेगी। यह बात उन्होंने नादौन विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत गोईस (गलोड़) में सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम में आयोजित जनसभा में कही।
हमारा राज्य कर्जा लेने वाला नहीं देने वालों की श्रेणी में शुमार हो
सीएम ने कहा कि अभी प्रदेश सरकार को सत्ता में आए हुए एक वर्ष हुआ है तथा प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी में लाने की दिशा में काम किया जा रहा है। संकल्प एक ही है कि वर्ष 2027 तक हिमाचल को अपने पैरों पर खड़ा करना तथा वर्ष 2032 तक समृद्धशाली राज्य की नींव रखना ताकि हमारा राज्य कर्जा लेने वाला नहीं देने वालों की श्रेणी में शुमार हो। आने वाले वर्षों में बहुत से काम करने हैं। पिछले एक वर्ष में 20 प्रतिशत से ज्यादा राजस्व कमाया है। दूरगामी योजनाएं बनाई जा रही हैं। धरातल पर किसी योजना को उतारने में समय लगता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों से दूध खरीद का रेट 32 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 38 रुपए कर दिया है। राज्य सरकार विभिन्न सरकारी विभागों में 20 हजार पद भर रही है। सुक्खू ने कहा कि आगामी समय में किसानों के साथ बैठक कर चर्चा करेंगे। एक योजना पर कार्य किया जा रहा है। किसानों के लिए नई नीति लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम का मतलब गांव के साथियों से मुलाकात करना है ताकि प्रदेश की आय को दोगुना करने तरीकों को सीखा जाए।
देनदारियों ने जकड़ा, गांवों की अर्थव्यवस्था सुधारेंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए। 90 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। आत्मनिर्भर हिमाचल की परिकल्पना तभी संभव है, जब गांव सुदृढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश पर कर्ज बहुत ज्यादा है। देनदारियां बहुत ज्यादा हैं। 15 हजार करोड़ वेतन, 10 हजार करोड़ पैंशन, 6 हजार करोड़ कर्ज का ब्याज, 6 हजार करोड़ लोन की किस्त चुकानी पड़ती है। ऐसी परिस्थितियों से हिमाचल गुजर रहा है।
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here