हिमाचल में श्रम कानूनों के खिलाफ गरजी CITU, 11 जिलों में किए धरना-प्रदर्शन

Edited By Vijay, Updated: 30 Dec, 2020 07:28 PM

citu against labor laws in himachal

सीटू के अखिल भारतीय आह्वान पर मजूदरों ने प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन किए। हिमाचल प्रदेश के 11 जिलों में भी सैंकड़ों कार्यस्थलों पर मजदूरों ने रैली व धरने प्रदर्शन कर श्रम कानूनों में किए गए संशोधन का विरोध किया। प्रदर्शन में शिमला, रामपुर, रोहडू,...

शिमला (ब्यूरो): सीटू के अखिल भारतीय आह्वान पर मजूदरों ने प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन किए। हिमाचल प्रदेश के 11 जिलों में भी सैंकड़ों कार्यस्थलों पर मजदूरों ने रैली व धरने प्रदर्शन कर श्रम कानूनों में किए गए संशोधन का विरोध किया। प्रदर्शन में शिमला, रामपुर, रोहडू, सोलन, दाड़लाघाट, बीबीएन औद्योगिक क्षेत्र, नाहन, ऊना, गगरेट, हमीरपुर, सुजानपुर, बड़सर, नादौन, भोरंज, धर्मशाला, बैजनाथ व चम्बा इत्यादि में प्रदर्शन किए गए। शिमला में जिलाधीश कार्यालय के बाहर सीटू ने प्रदर्शन किया। इस दौरान सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि श्रम कानूनों को खत्म कर बनाई गई मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताओं के खिलाफ न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपए घोषित करने, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील व आशा वर्कर्ज को सरकारी कर्मचारी घोषित करने व हरियाणा की तर्ज पर वेतन देने इत्यादि की मांग की गई है, साथ ही किसान विरोधी तीन कानूनों व बिजली विधेयक 2020 के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के मजदूर सड़कों पर उतरे हैं।

इसी कड़ी में आंदोलन को तेज करते हुए 7 व 8 जनवरी, 2021 को ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर जेल भरो, चक्का जाम व गिरफ्तारियों के कार्यक्रम किए जाएंगे। आंदोलन के अगले चरण में 24 से 31 जनवरी तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में जत्थे चलाकर केंद्र व राज्य सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों का पर्दाफश किया जाएगा। इस दौरान शिमला, कुल्लू व हमीरपुर  से विभिन्न जिलों के लिए तीन जत्थे चलाए जाएंगे। विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा पर मजदूरों का विराट प्रदर्शन होगा, जिसमें हजारों मजदूर विधानसभा पर हल्ला बोलेंगे व सरकार को मजदूर मांगों को मानने के लिए मजबूर किया जाएगा।

वहीं उपमंडल कुमारसैन के बीथल में मजदूरों व किसानों ने कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस अवसर पर काफी सख्या में मौजूद मजदूरों व किसानों ने केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया व कृषि कानून को वापिस लेने की मांग रखी। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मजदूर व किसान विरोधी कदमों को पीछे नहीं लिया तो वे जन आंदोलन करेंगे। उधर, सीटू की राष्ट्रीय कमेटी के आह्वान पर मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताओं, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने व 3 किसान विरोधी काले कानूनों के खिलाफ  बुधवार को रामपुर के विभिन्न स्थानों पर मजदूरों ने अपने कार्यस्थलों पर विरोध प्रदर्शन किया।

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