केंद्र की हिटलरशाही सियासत राज्यों के संघीय ढांचे को लगी है निगलने : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 29 Oct, 2020 05:10 PM

center s hitlership is swallowing up federal structure of political states rana

एक सियासी साजिश के तहत केंद्र राज्यों को लगातार कमजोर कर रहा है। देश के लोकतंत्र में यह पहली बार हुआ है कि बिजनेस टायकून की तर्ज पर मार्केट के आधार पर शुरू हुई बीजेपी की सियासत में केंद्र राज्यों को लगातार कमजोर करने के हथकंडे अपना रहा है।

हमीरपुर : एक सियासी साजिश के तहत केंद्र राज्यों को लगातार कमजोर कर रहा है। देश के लोकतंत्र में यह पहली बार हुआ है कि बिजनेस टायकून की तर्ज पर मार्केट के आधार पर शुरू हुई बीजेपी की सियासत में केंद्र राज्यों को लगातार कमजोर करने के हथकंडे अपना रहा है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि राज्यों को पंगु बनाने में केंद्र की इस सियासी साजिश में सबसे खराब हाल कांग्रेस शासित राज्यों का है। जबकि बीजेपी शासित राज्य भी केंद्र की इस सियासी साजिश में लगातार पिस रहे हैं। उन्होंने बताया कि जीएसटी टैक्स के रूप में केंद्र को हर रोज हजारों करोड़ रुपया जाता है, लेकिन जब राज्यों को जीएसटी की हिस्सेदारी देने की बात आती है तो केंद्र कांग्रेस शासित राज्यों से ऐसे व्यवहार करता है जैसे कांग्रेस शासित राज्य कोई भिखमंगे हों व केंद्र नादिरशाह हो। उन्होंने कहा कि राजस्व के विभाज्य पूल में अब केंद्र के प्रस्तावित कदम के तहत राज्य की हिस्सेदारी घटाई जा रही है। यह कदम राज्यों को गरीब व गुलाम बनाने जैसा साबित होगा। केंद्र राज्य के संसाधनों को लगातार हड़प रहा है। जिसके चलते संघीय ढांचा पूरी तरह समाप्त होने की कगार पर है। 

उन्होंने कहा कि केंद्र की यह साजिशें व राज्यों के प्रति दुर्भाव की यह सियासत लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। क्योंकि केंद्र अब राज्यों से हिटलर शाही सियासत जैसा व्यवहार कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस हकीकत से इस वक्त कांग्रेस ही नहीं एनडीए के सहयोगी भी परेशान हैं व आक्रोश से भरे हुए हैं। आजाद हिंदोस्तान के इतिहास में जब संघीय ढांचे की संरचना की गई होगी तब किसी ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि एक दिन केंद्र ही राज्य को कमजोर करने व संघीय ढांचे को खत्म करने की सियासी साजिशें रचेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र की सियासी दुर्भावना के चलते राज्यों पर लगातार कर्जा बढ़ रहा है। क्योंकि अब देश में अधिकांश राज्यों को कर्जा लेकर ही गुजर बसर करना पड़ रहा है। जबकि राज्य पहले ही कर्जे के पहाड़ के नीचे दबे हुए हैं। ऐसे में केंद्र राज्यों को मदद करने की बजाय कमजोर करने की सियासी साजिशें रच रहा है जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है।
 

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