PTA शिक्षकों को बड़ी राहत, सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज किया केस

Edited By Punjab Kesari, Updated: 20 Mar, 2018 09:24 AM

big relief to pta teachers

प्रदेश के पी.टी.ए, पैरा और पैट शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। अपीलकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय से केस वापस ले लिया है। इसी के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस केस को खारिज कर दिया है। हिमाचल प्रदेश पी.टी.ए. शिक्षक संघर्ष मंच के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष...

शिमला: प्रदेश के पी.टी.ए, पैरा और पैट शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। अपीलकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय से केस वापस ले लिया है। इसी के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस केस को खारिज कर दिया है। हिमाचल प्रदेश पी.टी.ए. शिक्षक संघर्ष मंच के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष दिनेश पटियाल ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय में पी.टी.ए अध्यापकों की सेवाओं के विरुद्ध एस.एल.पी.1426/2015, सी.ए. 2812/2017 पंकज कुमार वर्सिज हिमाचल सरकार मामला अधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया है। 


उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता पंकज कुमार द्वारा 13-03-2018 को न्यायालय में केस वापसी के लिए आवेदन किया गया था, जिस पर आज 19 मार्च यानी सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता का आवेदन स्वीकार करते हुए पी.टी.ए अध्यापकों की सेवाओं को चुनौती देने के मामले को खारिज कर दिया है। इसके बाद अब प्रदेश के हजारों शिक्षकों ने भी राहत की सांस ली है। मंच ने प्रदेश सरकार से उक्त शिक्षकों को जल्द नियमितीकरण के आदेश जारी करने की मांग की है। संघर्ष मंच के पदाधिकारियों ने उम्मीद जताते हुए कहा कि अब इसमें कानूनन कोई भी बाधा नहीं आएगी। सरकार अब इन शिक्षकों को बिना किसी शर्त से नियमित कर सक ती है। 


10 हजार से ज्यादा शिक्षकों के  नियमितीकरण में फंसा था पेंच
10 हजार से ज्यादा पैट, पैरा व पी.टी.ए. शिक्षकों के नियमितीकरण में यह पेंच फंसा था। मामला शीर्ष अदालत में होने के चलते सरकार इन शिक्षकों को नियमित नहीं कर पा रही थी लेकिन अब केस खारिज होने के बाद शिक्षक नियमित हो पाएंगे। गौर हो कि पिछले 15-16 वर्षों से उक्त शिक्षक स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। इनमें लगभग 6,500 पी.टी.ए. शिक्षक, 3,400 पैट व 110 पैरा शिक्षक शामिल हैं। उक्त वर्गों की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे। वर्ष 2013 में इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस दौरान हाईकोर्ट ने उक्त शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद पी.टी.ए. अध्यापकों की सेवाओं को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।

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