Edited By Vijay, Updated: 17 Aug, 2021 06:10 PM
तेज धूप, हाथों में झंडे, ऊंची चढ़ाई, पांव में छाले आ गए मां के मतवाले। जी हां, हम बात कर रहे हैं श्रद्धालुओं की उस अपार आस्था की जिसको देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे। कहते हैं कि जहां पर मां की महिमा अपरंपार है वहां पर श्रद्धालुओं की श्रद्धा भी अटूट है।
नयनादेवी (मुकेश): तेज धूप, हाथों में झंडे, ऊंची चढ़ाई, पांव में छाले आ गए मां के मतवाले। जी हां, हम बात कर रहे हैं श्रद्धालुओं की उस अपार आस्था की जिसको देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे। कहते हैं कि जहां पर मां की महिमा अपरंपार है वहां पर श्रद्धालुओं की श्रद्धा भी अटूट है। कहते हैं कि मां ही ऐसी कठिन यात्रा करने की शक्ति प्रदान करती है। श्रद्धालुओं का एक जत्था जो पंजाब-बरनाला से माता श्री नयनादेवी के श्रावण अष्टमी मेला में दर्शनों के लिए आया था। श्रद्धालुओं के इस जत्थे की कठिन यात्रा मां के प्रति अटूट श्रद्धा, विश्वास देखकर हर आने-जाने वाले श्रद्धालु हैरान हो गए।
ये श्रद्धालु बरनाला से पैदल यात्रा करके आए थे। इस जत्थे में लगभग 40 श्रद्धालु थे। दोपहर का समय और सड़क पूरी तरह से गर्म लेकिन ये श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते हुए भारी उत्साह के साथ माता के दरबार की तरफ बढ़ रहे थे। मानों की माता के जयकारों से इनके दिलों में अपार श्रद्धा बढ़ती जा रही है और ऊंचे जयकारों से उन्हें वो ताकत मिल रही थी जिसके चलते वह तेज धूप में भी अपने कंधों पर झंडे उठा कर फटाफट मां के दरबार की तरफ जा रहे थे।
ऐसी तस्वीरें अक्सर श्रावण अष्टमी मेले में देखने को मिलती हैं। सैंकड़ों किलोमीटर का सफर पूरा करने के बाद इन श्रद्धालुओं को माता के दरबार तक पहुंचने के लिए 5 दिन का समय लगा और श्रद्धालुओं के माथे पर जरा भी थकान की लकीरें नहीं थीं। सिर्फ श्रद्धालुओं में मां के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास नजर आया।