बिजली बोर्ड की 'मर्दानी': जहां खतरा देख अच्छे-अच्छाें के कांप जाते हैं हाथ, वहां ये 'लेडी लाइनमैन' दिलेरी से करती है काम

Edited By Vijay, Updated: 17 Dec, 2025 12:52 PM

alm nirmla kumari

महिला शक्ति किसी के सहारे की मोहताज नहीं होती। इस कहावत को हिमाचल प्रदेश के चम्बा में बिजली बोर्ड में तैनात निर्मला कुमारी ने सच कर दिखाया है। जिस क्षेत्र में अमूमन पुरुषों का वर्चस्व माना जाता है, वहां निर्मला ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है।

चम्बा (रणवीर सिंह राणा): महिला शक्ति किसी के सहारे की मोहताज नहीं होती। इस कहावत को हिमाचल प्रदेश के चम्बा में बिजली बोर्ड में तैनात निर्मला कुमारी ने सच कर दिखाया है। जिस क्षेत्र में अमूमन पुरुषों का वर्चस्व माना जाता है, वहां निर्मला ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। खंभों पर चढ़कर बिजली ठीक करना हो या उलझी हुई तारों को व्यवस्थित करना, निर्मला के लिए यह अब बाएं हाथ का खेल बन चुका है। वर्तमान में बिजली बोर्ड चम्बा के तहत हरदासपुरा में बतौर सहायक लाइनमैन (एएलएम) तैनात निर्मला कुमारी अपने काम को लेकर बेहद संजीदा हैं। उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण करना और उन्हें संतुष्ट करना उनकी प्राथमिकता है। वे बताती हैं कि बचपन से ही उन्हें कुछ अलग करने का जुनून था, जिसमें उनके माता-पिता और भाई-बहनों ने पूरा सहयोग दिया।

24 घंटे की ड्यूटी, ऑन कॉल सेवाओं के लिए भी हर समय तैयार
बिजली बोर्ड में 24 घंटे की ड्यूटी के लिए तीन शिफ्ट (सुबह 7 से 3, दोपहर 3 से रात 11, और रात 11 से सुबह 7 बजे तक) निर्धारित हैं। निर्मला न केवल इन शिफ्टों में मुस्तैदी से काम करती हैं, बल्कि ऑन कॉल सेवाओं के लिए भी हर समय तैयार रहती हैं। यह उनका समर्पण ही है कि 2018-19 बैच में भर्ती होने के बाद वे पांगी, मरेडी और सरोल जैसे क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।

जनजातीय क्षेत्र पांगी में भी सेवाएं दे चुकी हैं निर्मला
निर्मला के हौसले का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जनजातीय क्षेत्र पांगी में भी सेवाएं दी हैं। पांगी में भारी बर्फबारी के कारण बिजली गुल होना आम बात है और वहां अनुभवी कर्मचारी भी काम करने से कतराते हैं, लेकिन निर्मला ने वहां भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

ताने मारने वालों काे अपने काम से दिया जवाब
निर्मला का यह सफर आसान नहीं था। जब उन्होंने आईटीआई में इलैक्ट्रीशियन ट्रेड में दाखिला लिया तो कई लोगों ने उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश की। साथ पढ़ने वाले लड़के ताना मारते थे कि तू लड़की है, तुझसे यह काम नहीं होगा, लेकिन शिक्षकों के प्रोत्साहन और निर्मला के दृढ़ निश्चय ने सबकी बोलती बंद कर दी। आज निर्मला अपने आलोचकों को अपने काम से जवाब दे रही हैं। निर्मला कुमारी आज उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं जो छोटी-मोटी मुसीबतों से घबरा जाते हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर हौसला बुलंद हो तो बेटियां किसी भी क्षेत्र में परचम लहरा सकती हैं।

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