यहां 80 बच्चे हैं खास, मुफ्त की पढ़ाई नहीं आ रही रास

Edited By Vijay, Updated: 18 Sep, 2018 10:07 PM

80 children are special free education

हमीरपुर जिला प्रदेश का सबसे शिक्षित जिला है लेकिन फिर भी अगर बात यहां भीख मांग रहे बच्चों की करें तो जिला में करीब आज भी 80 बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल न जाकर भीख मांगना ही पसंद करते हैं। डाईट ऐसे बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें नजदीकी...

हमीरपुर: हमीरपुर जिला प्रदेश का सबसे शिक्षित जिला है लेकिन फिर भी अगर बात यहां भीख मांग रहे बच्चों की करें तो जिला में करीब आज भी 80 बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल न जाकर भीख मांगना ही पसंद करते हैं। डाईट ऐसे बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें नजदीकी स्कूल में रजिस्टर करवा कर दाखिला भी करवाता है लेकिन फिर भी ये घुमंतू माता-पिता के घुमंतू बच्चे आए दिन जगह बदल कर वापस इसी काम में लग जाते हैं, ऐसे में विभाग को इनकी शिक्षा सुनिश्चित करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। विभाग इन्हें शिक्षित करने के लिए स्कूलों में रजिस्टर तो करता है लेकिन अगले ही महीने ये बच्चे किसी अन्य स्थान पर होते हैं व वहां जाकर दोबारा भीख मांगने में लग जाते हैं, ऐसे में इन बच्चों की शिक्षा पर नजर रख पाना मुश्किल हो रहा है। इनके माता-पिता भी इनको स्कूल भेजने में परहेज करते हैं जबकि विभिन्न दिनों में तरह-तरह के रूप बनाकर बाजारों में भीख मांगने के लिए तैयार कर भेज देते हैं।
PunjabKesari
80 बच्चे मांग रहे जिला भर में भीख
मिली जानकारी के अनुसार जिला हमीरपुर में करीब 80 बच्चे ऐसे बच्चे हैं जोकि स्कूल न जाकर भीख मांगने में लगे हैं। यह आंकड़ा जुलाई माह में किए गए सर्वे में दर्ज किया गया है। अगर पिछले साल के आंकड़ों की बात करें तो 110 के करीब बच्चे स्कूलों में न जाकर भीख मांगने के काम में लगे हुए थे। ये बच्चे जिला के न होकर प्रवासियों के हैं।
PunjabKesari
सर्वशिक्षा अभियान पर फेर रहे पानी
सर्वशिक्षा अभियान में बच्चों को मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है। इतना ही नहीं, स्कूल में ही बच्चों को वॢदयां, कॉपी-पैन व किताबों के साथ-साथ खाने की सुविधा भी दी जाती है, ऐसे में इन सभी सुविधाओं के चलते कई बच्चे स्कूलों में शिक्षा लेने पहुंचे लेकिन बावजूद इन सब सुविधाओं के अभी भी एक बड़ी तादाद में बच्चे स्कूल आदि न जाकर काम करना व भीख मांगना ज्यादा पसंद करते हैं, ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी घुमंतू बच्चों के साथ आती है। एक स्थान पर विभाग इन बच्चों का स्कूल में दाखिल करवा कर इनकी शिक्षा को सुनिश्चित करता है लेकिन ये बच्चे कुछ समय में उस स्थान से किसी और स्थान पर चले जाते हैं व वहां जाकर दोबारा भीख मांगने व किसी अन्य काम में लग जाते हैं, जिससे विभाग व सरकार की सारी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं।

बच्चों को पैसा देकर बढ़ावा न दें लोग
अगर बात इन बच्चों को प्रोत्साहन देने की करें तो लोग ही इन्हें सबसे ज्यादा प्रोत्साहित करते हैं, ऐसे में इन बच्चों को लोगों से मनचाहे पैसे मिल जाते हैं, जिससे ये बच्चे खुद ही स्कूल जाना पसंद नहीं करते। अगर लोग इन बच्चों को पैसे न देकर स्कूल में जाने की सलाह दें व भीख मांगने पर थोड़ा सख्त व्यवहार करें तो ये बच्चे दोबारा भीख मांगने से परहेज करेंगे व ऐसे में स्कूल जाने के अलावा इन बच्चों के पास कोई चारा नहीं होगा।

पुलिस को निभानी होगी बड़ी भूमिका
प्रशासन की मानें तो इन बच्चों को शिक्षित करने के लिए सभी विभागों को एक साथ काम करना पड़ेगा व इन बच्चों को शिक्षा लेने के लिए प्रोत्साहित करना पड़ेगा। ऐसे में पुलिस विभाग को चाहिए कि इन घुमंतू बच्चों के माता-पिता से एफिडैविट बनवा कर इन बच्चों की शिक्षा को सुनिश्चित किया जाए व ऐसा न होने की स्थिति में माता-पिता को उत्तरदायी बनाया जाए।

घुमंतू लोगों के साथ आती है शिक्षा की परेशानी
डी.आई.ई.टी. गौना करौर के प्रधानाचार्य जगदीश कौशल ने बताया कि जितने भी स्थायी लोग हैं, उन सभी के बच्चों को स्कूलों में रजिस्टर किया गया है व उनकी पढ़ाई भी सुनिश्चित की गई है। शिक्षा की परेशानी घुमंतू लोगों के साथ आती है, ऐसे में उन्हें रजिस्टर कर पाना व शिक्षित कर पाना मुश्किल हो जाता है। सभी विभाग अगर साथ में काम करे तो यह परेशानी भी हल हो सकती है, वहीं विभाग द्वारा इस संदर्भ में काफी काम किया जा रहा है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!