Edited By kirti, Updated: 04 Feb, 2019 12:15 PM
प्रदेश सरकार द्वारा जीरो बजट खेती को बढावा देने के लिए प्रयास रंग ला रहे है जिसके चलते ही हमीरपुर में जीरोबजट की खेती में दो किसान जुटे हुए है जिससे उनकी आर्थिक आमदनी भी बढ़ रही है। हमीरपुर के समराला और चैकी कनकरी में जीरो बजट की खेती में जुटे...
हमीरपुर(अरविंदर): प्रदेश सरकार द्वारा जीरो बजट खेती को बढावा देने के लिए प्रयास रंग ला रहे है जिसके चलते ही हमीरपुर में जीरोबजट की खेती में दो किसान जुटे हुए है जिससे उनकी आर्थिक आमदनी भी बढ़ रही है। हमीरपुर के समराला और चैकी कनकरी में जीरो बजट की खेती में जुटे किसानों के अनुसार पहले जीरो बजट खेती को किसान कम पंसद कर रहे थे लेकिन धीरे धीरे किसान जीरो बजट की खेती की ओर आकर्षित हुए है। हमीरपुर जिला के समराला गांव के मुनीष ने साल 2007 से खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाया है और अपनी खेतों में फसल की पैदावार के लिए आज तक कीटनाषकों का उपयोग करते आए थे लेकिन जबसे प्रदेश में सरकार द्वारा जीरो खेती को बढावा दिया गया तब से उन्होंने अपने खेतों व फसलों को कीटनाष्कों से दूर करने का मन बनाया।
कृषि विभाग से संपर्क करने के बाद उन्होने जीरो खेती का प्रषिक्षण प्राप्त किया और पिछले दो सालों से जीरो बजट खेती कर रहे है और उसके अच्छे परिणाम भी उनको मिल रहे है । उन्होने बताया कि गेहूं, चना,मटर, मूली शलगम की फसलें उगाई जा रही है और इस खेती के लिए लागत शून्य के बराबर है। वहीं जीरो बजट की खेती कर रहे अनिल का कहना है कि जीरो बजट खेती के लिए मुनीष ने उन्हे प्रेरित किया और और पिछले कुछ महीनों से वे भी इसे अपना रहे है। उन्होंने बताया कि इस फसल से अच्छी होने की उम्मीद है साथ ही लोग भी पौष्टिक सब्जी खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे है। किसानों ने बताया कि सरकार के प्रशिक्षण के बाद खेती में देश खाद, गाय के गोबर और मल मूत्र का प्रयोग खेती के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि खेती बाड़ी में खाद का प्रयोग भी नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले कीटनाषकों के लिए वर्ष में लगभग 25 हजार तक खर्च आता था जो अब बंद हो गया है।