Edited By Updated: 28 Mar, 2017 12:57 PM
आज आपको एक ऐसे गांव की दास्तां बताने जा रहे हैं जहां के ग्रामीण आज भी बारिश के पानी से अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते हैं।
मंडी (नीरज शर्मा): आज आपको एक ऐसे गांव की दास्तां बताने जा रहे हैं जहां के ग्रामीण आज भी बारिश के पानी से अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते हैं। अगर मेघ बरस गए तो ठीक वरना महीनों पानी के लिए तरसना पड़ता है। हम बात कर रहे हैं मंडी जिला के करसोग के संवामांहू गांव की। यह बीते कुछ समय से इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि यहां के महिला मंडल ने अपने गांव में शराबबंदी करवा दी थी। पूरे राज्य में शराबबंदी करवाने वाला यह पहला गांव तो बन गया लेकिन यहां शराब के बजाए पानी को लेकर जो पाबंदी चली है उससे ग्रामीण अभी भी जूझ रहे हैं।
आज भी बारिश के पानी पर निर्भर लोग
आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां के लोग आज भी बारिश के पानी पर ही निर्भर हैं। यहां आसपास किसी प्रकार का कोई प्राकृतिक जल स्त्रोत नहीं है। घरों में नलके लगे हैं लेकिन उनमें पानी नहीं आता। ग्रामीणों की मानें तो पानी आने का कोई समय नहीं है। भला हो सरकार की 'वर्षा जल संग्रहण योजना' का, जिसके तहत गांव में टैंक बन गए और वह इसमें जमा होने वाले वर्षा जल से जैसे-तैसे अपना गुजारा चला रहे हैं। ग्रामीणों को पीने का पानी टैंकरों के माध्यम से लाना पड़ता है और इसके लिए उन्हें भारी भरकम रकम अदा करनी पड़ती है। क्योंकि उनकी यही समस्या है कि वह उपलब्ध पानी को पशुओं के लिए रखें, खुद के लिए या फिर शौचालयों के। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि उन्हें नियमित रूप से पानी की सप्लाई दी जाए।