Edited By Updated: 21 Jan, 2017 12:07 PM
हिमाचल के इस जिले में एक नई आई.ए.एस. ने सरकारी तंत्र को आईना दिखाया है।
सुंदरनगर (नितेश सैनी): हिमाचल के इस जिले में एक नई आई.ए.एस. ने सरकारी तंत्र को आईना दिखाया है। प्रोबेशन पर आई एक ऑफिसर प्रियंका वर्मा ने जिस तरह से सुंदरनगर के मलोह में खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई की। आई.ए.एस. ऑफिसर प्रियंका खुद मौके पर जाकर खनन माफिया पर शिकंजा कंसा और 3 जेसीबी और एक टिपर जब्त किया। बताया जा रहा है कि मंडी जिला में आधे से ज्यादा उपमंडल अवैध खनन की चपेट में हैं। इस वजह से जिला में कई बीघा किसानी भूमि नष्ट हो गई। कहीं पानी के जल स्त्रोत भी सूख गए। मजे की बात है कि इस अवैध कारोबार में जो सलिंप्त है। उन पर कोई अंगुली नहीं उठाता है। इस कारोबार पर जिन लोगों ने कब्जा जमा रखा है। वे तो किसी भी सरकारी तंत्र की पकड़ में नहीं आए। बरहाल पकड़ा उन्हें जाता है जो छोटी-छोटी कमाई करते हैं। इस अवैध कारोबार की वजह से पांच और हजार रुपए में बिकने वाला रेत 4 से 5 हजार रुपए में बिकता है। सही मायनों में सरकार की खनन नीति न होनें के वजह से कुछ लोगों के लिए यह कारोबार चांदी कूटने का हो गया है।
बल्ह की उपजाउ जमीन व जिले के कई पहाड़ बने बंजर
जिला में सबसे ज्यादा अवैध खनन मिनी पंजाब कहे जाने वाले बल्ह में होता है। पुलिस प्रशासन कितने ही दावे और चालान कर ले। मगर कुछ लोगों की राजनीतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि कई बार प्रशासन भी उन पर बेअसर हो जाता है। बल्ह और जिला के विभिन पहाड़ी में हर साल करोड़ों रुपए की काली कमाई सरे बाजार होती है। अवैध कारोबार होने की वजह से रेत, बजरी का दाम भी माफिया ही तय करते है और तो ओर एक सरकारी पती उन लोगों को जाती है जो सरकारी तंत्र की सूचनाएं इन तक पहुंचाते हैं। यही हाल सरकाघाट व धर्मपुर की खड्डों का भी है।
विभाग के पास न स्टाफ न सुविधाएं
मंडी जिला प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। मगर जिस खनन विभाग के जरिए जिला से दो तीन करोड़ की आय सरकार को होती है। उसके पास एक गाड़ी तक नहीं है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डीसी मंडी ने फालतू अधिकारीयों को ऐश करने के लिए गाड़ियां तो देर रखी है। मगर खनन अधिकारी के पास एक वाहन तक नहीं है। ऐसे में कोई छापेमारी भी करना चाहे तो कैसे होगी। पूरे जिले में एक इंस्पैक्ट और पांच ए.एम.आई. के सहारे इतनी बड़ी लड़ी जा रही है। इस बारे में जिला खनन अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि उनके विभाग के पास न वाहन और न ही स्टाफ है। ऐसे में जितनी शिकायतें आती है। उन पर कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि सिर्फ राजस्व विभाग और पुलिस के अलावा कोई भी विभाग अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है।
43 अधिकारीयों को है चालान का अधिकार
अवैध खनन के खिलाफ सरकार ने खनन विभाग के अलावा सात अन्य विभागों के 43 अधिकारियों को चालान करने की पावर दी है। जिसमें पंचायत, वन विभाग सहित कई विभाग चाहें तो अवैध खनन के खिलाफ मोर्चा खोल सकते है। मगर इन विभागों में ज्यादातर स्थानीय अधिकारी होते है। जो खनन माफिया से घबराते है।