कच्चे कमरे में ऐसे गुजारा कर रहा BPL का यह परिवार, आज दिन तक कोई मदद को नहीं आया आगे (Video)

Edited By Punjab Kesari, Updated: 15 Feb, 2018 07:51 PM

5 सदस्यों का परिवार लंबा समय से एक छोटे से कच्चे मकान में गुजारा कर रहा है। बी.पी.एल. में शामिल इस परिवार को अभी तक किसी भी आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। अति निर्धन परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोअर बसाल के योगराज वर्षों से एक छोटे से कमरे में...

ऊना (सुरेन्द्र शर्मा): 5 सदस्यों का परिवार लंबा समय से एक छोटे से कच्चे मकान में गुजारा कर रहा है। बी.पी.एल. में शामिल इस परिवार को अभी तक किसी भी आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। अति निर्धन परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोअर बसाल के योगराज वर्षों से एक छोटे से कमरे में गुजर बसर कर रहा है। इसी कमरे के भीतर रसोई है और एक बैड लगा है। इसके अतिरिक्त उनके पास कोई दूसरा साधन रहने का नहीं है। भले ही निर्धनता में योगराज समय व्यतीत कर रहा हो लेकिन उसने बच्चियों की पढ़ाई नहीं रोकी। वह अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा दिलवाने का जज्बा उसमें बरकरार है।
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बड़ी बेटी बी.एससी प्रथम वर्ष, दूसरी प्लस टू तथा तीसरी 9वीं कक्षा में अध्ययनरत है। हालत यह है कि इन बेटियों के लिए न तो पढ़ने को बेहतर माहौल है न घर है और न ही टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधा उपलब्ध है। हालत यह है कि योगराज के पास अभी तक शौचालय तक भी नहीं है। योगराज के साथ-साथ उनकी पत्नी तथा 3 बेटियों के लिए टॉयलेट का न होना भी विचित्र मामला है। बेटियों को बचाने, पढ़ाने तथा संरक्षण के नारे तो दिए जाते हैं परन्तु 3 बेटियों के इस परिवार को अभी तक कोई लाभ नहीं मिल पाया है। 


ऊना-धर्मशाला मुख्य हाईवे के निकट लोअर बसाल के योगराज हॉकर का कार्य करता है। पिछले 27 वर्षों से लगातार यही काम करता आ रहा है लेकिन उसके पास आय का इसके अतिरिक्त कोई साधन नहीं है। गरीबी में जीवन यापन कर रहे योगराज के लिए कोई और दूसरा सहारा नहीं है। बेटियां पढ़ने में काफी होशियार हैं और उन्हें इसी वजह से कुछ वजीफा राशि भी प्राप्त होती है। योगराज कहते हैं कि बी.पी.एल. में शामिल होने के बावजूद उन्हें अभी तक किसी भी आवास योजना का लाभ नहीं मिला है जिसकी वजह से वह घर नहीं बना पाया है। ग्राम पंचायत लोअर बसाल के प्रधान देसराज ने माना कि परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है। अभी तक उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। सूची में नाम तो डाला गया है परन्तु अभी तक मंजूर नहीं हो पाया है। टॉयलेट तक इस परिवार के लिए नहीं है। आग लगने के बाद पंचायत ने अपनी तरफ से 2 हजार रुपए की राशि तो दी थी। इसके बावजूद उन्हें कोई सहायता नहीं मिल पाई है।


आग लगने से बरामदा हुआ था राख, नहीं मिली कोई सहायता राशि
मुसीबत यह कि गत 9 फरवरी को आग लगने की वजह से योगराज के कमरे के आगे बना टीननुमा बरामदा भी जलकर राख हो गया। आग लगने के बावजूद अभी तक कोई सहायता राशि नहीं मिल पाई है। इतना जरूर है कि पंचायत की तरफ से 2 हजार रुपए की राशि मिली लेकिन अभी तक उन्हें कोई भी दूसरी सहायता नहीं मिली है। काफी सामान जलकर खाक हो गया है। आग लगने के बाद इस कच्चे घर में लगा मीटर खाक हो चुका है। अभी तक उन्हें लाइट भी नसीब नहीं हुई है। विद्युत विभाग ने सिक्योरिटी राशि जमा करने के लिए कहा है। अभी तक इसका इंतजाम नहीं हो पाया है। बेटियां आखिर कैसे पढ़ें।


सैंकड़ों पक्के घरों में लगे हैं बी.पी.एल. के बोर्ड और खा रहे हैं गरीबों का हक
प्रदेश में सैंकड़ों लोग ऐसे हैं जो किसी तरह से गरीब नहीं लगते लेकिन उनके घरों में बी.पी.एल. के बोर्ड लगे हैं। वे गरीबों का हक बड़े शौक से खा रहे हैं जबकि योगराज और शिव कुमार जैसे कई ‘ओरिजिनल’ गरीब दयनीय हालत में हैं। पिछले दिनों जोगिंद्रनगर की रोपा पद्दर पंचायत के छाणग गांव की अति देवी का परिवार भी लम्बी जद्दोजहद के बाद बी.पी.एल. सूची में शामिल किया गया जबकि वह परिवार इसका हकदार था। सरकारें इस मुद्दे को लेकर कुछ देर बातें करती हैं और फिर कुछ देर बाद सब खामोश। कुछ लोग ‘डुप्लीकेट गरीब’ लोगों के चयन में पंचायतों की मिलीभगत को वजह मान रहे हैं परंतु वोट बैंक के चक्कर में फंसी हमारी पंचायत और सरकार में से बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे। हकों से वंचित ऐसे कई परिवारों की बद्दुआओं से बचने के लिए सरकार को इस बारे जल्द ठोस कदम उठाना होगा।
 

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