Edited By Punjab Kesari, Updated: 02 Jul, 2017 02:10 PM
आखिरकार जेपी कंपनी बागा के ट्रक ऑपरेटर का 100 दिन का आंदोलन रंग लाया और अनशन के बाद ऑपरेटर को माल ढुलाई की बकाया राशि मिली।
बिलासपुर (मुकेश गौतम): आखिरकार जेपी कंपनी बागा के ट्रक ऑपरेटर का 100 दिन का आंदोलन रंग लाया और अनशन के बाद ऑपरेटर को माल ढुलाई की बकाया राशि मिली। अल्ट्राटैक कंपनी द्वारा जे.पी. कंपनी बागा के ट्रक आप्रेटर्ज को दी जाने वाली 30 करोड़ की बकाया राशि ऑपरेटर्ज के खाते में डाल दी गई है। जहां पहले 14 करोड़ रुपए दिया गया था तो वहीं अब शेष 16 करोड़ रुपए की राशि भी उनके खाते में डाल दी गई है। इस खुशी में शनिवार को शालूघाट में ट्रक आप्रेटर्ज की संयुक्त समन्वय समिति द्वारा अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राज्य योजना विकास एवं बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष राम लाल ठाकुर ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। समारोह में अल्ट्राटैक कंपनी के सभी पदाधिकारी मौजूद रहे।
100 दिनों से ट्रक ऑपरेटरों ने जारी रखा अनशन
इस अवसर पर राम लाल ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों से समझौते के आधार पर बागा अल्ट्राटैक कंपनी ने ट्रक आप्रेटर्ज के बकाया 30 करोड़ रुपए 2 किस्तों में चुकाने के लिए कहा था और उन्होंने अपना वायदा निभाते हुए प्रथम किस्त के रूप में 29 जून को 14 करोड़ और द्वितीय किस्त में बकाया सारी राशि को भी बैंक के माध्यम से ट्रक ऑप्रेटरों के बैंक खातों में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 100 दिनों से ट्रक ऑपरेटरों द्वारा जारी अवरोध को खत्म करने व उनके हितों की रक्षा करने के लिए मुख्यमंत्री के सामने उनकी बात रखी गई। जब मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया तो उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री मौके पर शालूघाट आए और यूनियन के पदाधिकारियों के 8 दिनों से जारी आमरण अनशन को तुड़वाया गया।
100 दिनों की स्ट्राइक करने पर 100 करोड़ का नुकसान
उन्होंने कहा कि पिछले 100 दिनों की स्ट्राइक करने व ढुलाई न करने की वजह से इस क्षेत्र के ऑपरेटरों का लगभग 100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने कंपनी प्रबंधन से खारसी सड़क की मरम्मत करके सही करने का भी आग्रह किया। यह इस क्षेत्र के लोगों विशेषकर ट्रक आप्रेटर्ज के परिवारों के लिए खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अल्ट्राटैक कंपनी के साथ समझौता हस्ताक्षर के लिए दबाव न डालते तो यह समझौता न होता।