विपक्ष ने साधा सत्तापक्ष पर निशाना, कहा-सरकार का शॉर्टकट लोकतंत्र की हत्या

Edited By Updated: 29 Mar, 2017 06:52 PM

opposition target on ruling party  said government shortcut killed democracy

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में लोक निर्माण और शिक्षा विभाग से जुड़ी अनुदान मांगों को बिना चर्चा के पारित किए जाने का मामला जोर-शोर से गंूजा।

शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में लोक निर्माण और शिक्षा विभाग से जुड़ी अनुदान मांगों को बिना चर्चा के पारित किए जाने का मामला जोर-शोर से गंूजा। नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि सरकार ने 2 महत्वपूर्ण अनुदान मांगें पारित करने के लिए जो शॉर्टकट अपनाया, वह गलत है तथा यह एक तरह से लोकतंत्र की हत्या है। यह काम जिस जल्दबाजी में किया गया, वह निंदनीय है। उन्होंने यह भी कहा कि भोजनावकाश के दौरान सदन की कार्यवाही को नहीं बढ़ाया गया था। उनका कहना था कि लोकतंत्र में वाकआऊट करना विपक्ष का अधिकार है और सरकार ने इसका गलत फ ायदा उठाया। 

यह परंपरा लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं : सुरेश भारद्वाज
भाजपा के मुख्य सचेतक सुरेश भारद्वाज ने प्रश्नकाल के तुरंत बाद यह मामला उठाते हुए कहा कि सरकार ने जान-बूझकर भोजनावकाश के दौरान 2 महत्वपूर्ण मांगें पास कर दीं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के 10 से 15 सदस्य इन मांगों पर अपनी बात रखने वाले थे। उनका कहना था कि प्रदेश में लोक निर्माण और शिक्षा विभाग का बुरा हाल है और इसलिए ही सरकार ने जान-बूझकर इन मांगों पर चर्चा से बचने के लिए यह रास्ता चुना। यह परंपरा लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। इसी मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने सरकार से पूछा कि यदि इन दोनों विभागों को लेकर चर्चा हो जाती तो सरकार का क्या जाता क्योंकि पास तो ये दोनों मांगें होनी ही थीं। 

भोजनावकाश के दौरान सदन की कार्यवाही पूरी करने के सैंकड़ों उदाहरण : विस अध्यक्ष
इस पर विधानसभा अध्यक्ष बी.बी.एल. बुटेल ने व्यवस्था देते हुए कहा कि ऐसे सैंकड़ों उदाहरण हैं, जिनमें भोजनावकाश के दौरान सदन की कार्यवाही पूरी की गई है। उन्होंने कहा कि कल पूरा विपक्ष वाकआऊट कर बाहर चला गया था और लोक निर्माण व शिक्षा विभाग की मांगें चर्चा के लिए रखे जाने के बाद वह सदन में नहीं लौटा। विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा कि जिस वक्त ये मांगें सदन में आनी थीं, उस समय विपक्ष सदन में मौजूद नहीं था। उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष गंभीर होता तो वह वाकआऊट के बाद सदन में वापस आ जाता। उनका कहना था कि इस सारे मामले में कसूर विपक्ष का है और वह इस मामले में सरकार पर बेवजह दोषारोपण कर रहा है।

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे : वीरभद्र
विपक्ष द्वारा उठाए मामले पर मुख्यमंत्री ने कड़ा एतराज जताते हुए बिना चर्चा के 2 अहम अनुदान मांगें पारित होने का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ा और इसे विपक्ष की लापरवाही करार दिया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अब विपक्ष उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार सदन में रात 12 बजे तक बैठने को तैयार थी और अच्छा होता कि विपक्ष भी सदन में होता और मांगों पर चर्चा होती। सी.एम. ने कहा कि विपक्ष की छोटी-छोटी बातों पर वाकआऊट करने की आदत हो गई है और वह महत्वपूर्ण मांगों पर भी गंभीर नहीं है।

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