चुनावी दंगल में मची खलबली, अब नशा परोसने की आड़ में वोट बटोरने वाले भूल जाएं शराब के हथकंडे

Edited By Punjab Kesari, Updated: 04 Nov, 2017 10:18 AM

now the people who forget the votes under the garb of drug addiction

जनजातीय स्पीति उपमंडल की महिलाओं द्वारा दारू की बिक्री पर लगाए गए ...

उदयपुर : जनजातीय स्पीति उपमंडल की महिलाओं द्वारा दारू की बिक्री पर लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध का असर चुनावी माहौल में साफ झलक रहा है। शराबबंदी के ऐलान के मुताबिक पुरुषों को घर से बाहर शराब पीने की कतई इजाजत नहीं दी गई है। शराब बेचने वालों की भी अच्छी खबर ली जा रही है। नशा उन्मूलन अभियान से पियक्कड़ों के होश फाख्ता हैं। आदत से मजबूर पियक्कड़ केवल अपने घर के अंदर ही दारू गटक सकते हैं। इसका भी पैमाना निर्धारित किया गया है। भूल से भी उन्होंने घर से बाहर अगर दारू का सेवन किया तो उनकी अच्छी खासी परेड होगी। इसके लिए महिलाओं के गुट सक्रिय हैं। दारू की बिक्री करने वालों से जुर्माना वसूल करने के मामले भी सामने आ रहे हैं। जुर्माने की राशि 5,000 या फिर इससे कहीं अधिक तय की गई है।

चुनावी दंगल में मची खलबली 
महिलाओं के ताजा फरमान ने चुनावी दंगल में भी खलबली मचाई है। सामाजिक सुधार के इस कार्य में प्रशासनिक तंत्र का भरपूर सहयोग महिलाओं को मिला है। प्रशासन ने हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिया है, जिससे शराबबंदी के अभियान ने उपमंडल में व्यापक रूप लिया है। विधानसभा चुनावों के इस समय बेशक पीने और पिलाने की बातें हर तरफ  कही जा रही हों, बावजूद इसके शीत मरुस्थल के पियक्कड़ों को दारू के लाले पड़ने शुरू हो गए हैं। प्रदेश के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में शराब को लेकर कई राजनेता स्वयं एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने में लगे हैं। शराब के बलबूते वोट बटोरने की कोशिश के आरोप भी लग रहे हैं मगर इन सबसे अलग रात गहराते ही बाजारों और गलियों में दहाड़ते पियक्कड़ों का हुड़दंग स्पीति में एकाएक शांत हुआ है।

महिलाओं ने कहा-विष बन चुकी है सामाजिक व्यवस्था
महिलाओं का कहना है कि शराब प्राचीन काल से ही जनजातीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। जीवन-मृत्यु के सभी कार्य शराब के बिना यहां अधूरे माने गए हैं। हालांकि हर घर में शराब बनाने की प्रशासनिक मंजूरी है लेकिन यह मंजूरी भी अब सामाजिक व्यवस्था के लिए विष बन गई है। समाज को इसकी जकड़ से मुक्त करने की कवायद में दारू का उपहार देने के पुराने रिवाज को खत्म करते हुए विवाह-शादियों में भी दारू परोसने की परंपरा को बंद किया जा रहा है।
 

नारी शक्ति ने उठाया नशाखोरी के समूल नाश का बीड़ा
महिलाओं की मानें तो क्षेत्र में शराब से इतने नुक्सान हुए हैं, जिनकी भरपाई ताउम्र नहीं की जा सकती है। दारू के दानव ने तोद घाटी में भारी तबाही मचा दी है। असंख्य लोगों को शराब का दानव निगल चुका है। इससे पुरुषों की सिलसिलेबार मौत की घटनाओं ने यहां सामाजिक ताने-बाने को इस कद्र झकझोर दिया कि सैंकड़ों महिलाओं का सहारा छिनने के साथ ही बच्चों के सिर से बाप का साया भी उठा है। अब युवा पीढ़ी भी कहीं नशाखोरी के दलदल में न फंस जाए, इस भय के खात्मे के लिए स्पीति घाटी की महिलाएं सजग हो उठी हैं। नारी शक्ति ने पूरे उपमंडल में नशाखोरी के समूल नाश का बीड़ा उठाया है।
 

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