अब श्रद्धालुओं को नए स्वरूप में दिखेगा सुकेत अधिष्ठात्री का देवी रथ

Edited By Punjab Kesari, Updated: 22 Feb, 2018 08:43 PM

now the devotees will seen new format of goddess chariot

जिला मंडी के उपमंडल करसोग स्थित ऐतिहासिक गांव पांगणा में सुकेत अधिष्ठात्री महामाया पांगणा का देवी रथ श्रद्धालुओं को नए स्वरूप में नजर आएगा।

करसोग (यशपाल): जिला मंडी के उपमंडल करसोग स्थित ऐतिहासिक गांव पांगणा में सुकेत अधिष्ठात्री महामाया पांगणा का देवी रथ श्रद्धालुओं को नए स्वरूप में नजर आएगा। सुकेत अधिष्ठात्री राजराजेश्वरी मूल महामाया पांगणा के तकरीबन 1253 वर्ष पुराने देवी के कलात्मक 6 मंजिला मंदिर में देवी के नवीन रथ की प्राण प्रतिष्ठा का एक सप्ताह तक चले समारोह का जप तप पूर्णाहुति व भंडारे के साथ वीरवार को समापन हो गया। इस नए देवी रथ में तकरीबन 25 किलो चांदी इस्तेमाल की गई है। महामाया मंदिर समिति पांगणा के नेतृत्व में संपन्न हुए इस समारोह में अनेक पंचायतों के श्रद्धालुओं ने भाग लेकर महामाया का आशीर्वाद प्राप्त कर स्वयं को धन्य किया।
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रथ के साथ विशाल छत्र का भी किया निर्माण
अक्तूबर, 2017 से निर्मित हो रहे इस सुंदर देवी रथ, मोहरों, शिलाओं, हार व अन्य मलाओं के निर्माण में श्रद्धालुओं ने अपनी इच्छा के अनुसार सोना, चांदी और धनराशि भेंट की। देवी रथ के साथ विशाल छत्र का भी निर्माण किया गया है। इस अवसर पर देवी कामाक्षा, देव थला, नाग शनोटी, कनेरी नाग, देव शिव शंकर चपनोट, गिही नाग, छंडयारा माता, देव जाच्छ व अन्य देवी देवताओं की देव वाद्योंं कारदारों की उपस्थिति में पांगणा पहुंची खुमटियों व महामाया पांगणा के नवीन रथ की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा कर पूर्णाहुति डाली गई। इस अवसर पर 9 कन्याओं व बटुक भैरव की भी पूजा की गई। महामाया के नवीन रथ की पूजा अर्चना के लिए बुधवार व वीरवार को भारी भीड़ मंदिर परिसर में जुटी रही। 
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श्रद्धालुओं ने पांरपरिक पोशाकों में मांगी मनौतियां
बुधवार रात भर जहां मंदिर परिसर में जागरण का भव्य आयोजन किया गया वहीं अपने और परिवार के उपर महामाया की कृपा बनाए रखने के लिए पांरपरिक पोशाकों में आए श्रद्धालुओं ने असीम श्रद्धा और अनंत विश्वास के साथ सुहाग, चूड़ा, चादरें व अन्न धन सहित पुष्पमालाएं आदि महामाया के नवीन रथ को अर्पित करते हुए मनौतियां मांगी तथा दिल खोल कर दान दिया। इस अवसर पर पांगणा व आसपास की अनेक पंचायतों के लोगों व देव चिन्ह के साथ पांगणा पहुंची खुमटियों के साथ आए कारदारों, ढाडी बजंतरियों के लिए भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 3000 लोगों ने नैवेद्य ग्रहण कर माता की कृपा प्राप्त की। 

सुकेत के अंतिम शासक सुंदरनगर ले गए रथ
गौरतलब है कि इससे पूर्व महामाया के रथ को सुकेत के अंतिम शासक राजा लक्ष्मण सेन संतान उत्पति की कामना पूर्ण होने पर शिव पार्वती के सिंहासन सहित सुंदरनगर ले गए थे, जिसे न लौटाने के बाद 1970 में पांगणावासियों ने फिर से देवी रथ का निर्माण किया था। इस रथ के मुखोटों के खंडित हो जाने के बाद आज महामाया मंदिर समिति ने नव निर्मित रथ की प्राण प्रतिष्ठा कर एक स्तुत्य कार्य किया है। इस पुनीत कार्य में आम आदमी की भागीदारी ने पांगणावासियों की सहकारिता का अनूठा प्रमाण प्रस्तुत किया है।

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