Edited By Punjab Kesari, Updated: 02 Oct, 2017 11:40 AM
कुल्लू दशहरे में जहां लोक नृत्य के दौरान पारंपरिक लिबास देखने को मिल रहे हैं वहीं लोग मेला देखने के लिए भी इन्हीं कपड़ों में पहुंच रहे हैं।
कुल्लू: कुल्लू दशहरे में जहां लोक नृत्य के दौरान पारंपरिक लिबास देखने को मिल रहे हैं वहीं लोग मेला देखने के लिए भी इन्हीं कपड़ों में पहुंच रहे हैं। पुरूष जहां कुल्लवी टोपी पहने नजर आ रहे हैं, वहीं महिलाएं सैंकड़ों साल पुरानी अपनी परंपरा में लिपटी हुई पहुंच रही हैं। दूर-दूर से लोग कुल्लू का दशहरा देखने के लिए कुल्लवी कपड़ों में सज धज कर पहुंच रहे हैं। महिलाएं अपने कपड़ों के ऊपर पट्टु ओढ़ती हैं जो चटक रंग के धागों से बना होता है।
कुछ चुनिंदा मौकों पर ही देखने को मिलता है ये नजारा
इसके अलावा सिर पर ढाठू पहना जाता है जिसे 'थिपू' भी कहते हैं। इस परिधान के साथ-साथ कुल्लू घाटी के पारंपरिक गहने पहने जाते हैं। बिना गहनों के कुल्लू की महिलाओं का श्रृंगार पूरा नहीं होता। बता दें कि परंपरा का ये नजारा कुछ चुनिंदा मौकों पर ही देखने को मिलता है। जैसे कि शादी या फिर उत्सव। वहीं अगर कुल्लू के पारंपरिक गहनों की बात की जाए तो नाक, गले, कान और माथे के लिए अलग-अलग गहने होते हैं। इन गहनों का अलग इतिहास रहा है। मगर कुल्लू को इस बात का गर्व आज भी है परंपरा कायम है।