वन भूमि पर अवैध कब्जों को लेकर हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Edited By Updated: 23 May, 2017 01:01 PM

forest land on illegal occupation to take on high court pronounced big decision

हिमाचल हाईकोर्ट में अवैध भवनों को नियमित करने के लिए बनाए गए संशोधित कानून को चुनौती देने वाले....

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट में अवैध भवनों को नियमित करने के लिए बनाए गए संशोधित कानून को चुनौती देने वाले मामले पर सुनवाई 12 जून के लिए टल गई। कोर्ट ने अधिवक्ता अभिमन्यु राठौर द्वारा दायर इस मामले में अवैध भवनों को नियमित करवाने के लिए नए कानून के तहत किए गए आवेदनों पर अंतिम निर्णय लेने पर रोक लगा रखी है। मामले के अनुसार इस वर्ष 24 जनवरी को सरकार ने अधिसूचना जारी कर हिमाचल प्रदेश टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग (संशोधन) अधिनियम 2016 राजपत्र में प्रकाशित किया। इस कानून को 15 जून, 2016 से लागू माना गया। इस कानून को 24 जनवरी, 2018 तक प्रभावी भी बनाया गया। इस अधिसूचना के तहत नियमितीकरण के लिए संबंधित लोगों को 60 दिनों का समय देते हुए आवेदन आमंत्रित किए गए। यह समय अधिसूचना के राजपत्र में प्रकाशित होने से शुरू हुआ। 


इस पॉलिसी का लाभ लेने वालों को यह सर्टीफिकेट लगाना जरूरी
आवेदन के साथ 1000 रुपए फीस भी मांगी गई थी। इस कानून के तहत आए आवेदनों का निपटारा एक वर्ष के भीतर किया जाना है। इसमें जैसा है, जहां है वाली नीति को अपनाते हुए नियमितीकरण करने की योजना है। इस पॉलिसी का लाभ लेने वालों को किसी क्वालीफाइड स्ट्रक्चरल इंजीनियर से स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टीफिकेट आवेदन के साथ लगाना जरूरी किया गया। ग्रीन व हैरिटेज क्षेत्रों में इस कानून को लागू नहीं किया गया। जो भवन इस संशोधित कानून के तहत भी नियमितीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे उनके बिजली-पानी के कनैक्शन काटने और उन्हें गिराने का प्रावधान भी इसमें बनाया गया है। प्रार्थी अभिमन्यु राठौर द्वारा दायर याचिका में सरकार पर आरोप लगाया गया है कि इस तरह के कानूनों से अवैध निर्माणों को बढ़ावा दिया जाता है जिससे ईमानदार लोग खुद को असहज अनुभव करते हैं। 


विकसित करने के मामले की सुनवाई 19 जून तक टली
हाईकोर्ट में वन भूमि पर अवैध ढंग से सेब के बगीचे विकसित करने के मामले पर सुनवाई 19 जून के लिए टल गई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने अवैध कब्जाधारियों को 2 सप्ताह के भीतर 5 बीघा से अधिक की कब्जाई गई भूमि को स्वत: छोड़ने के आदेश दिए। उल्लेखनीय है कि कृष्ण चंद सारटा ने वर्ष 2014 में मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखकर बताया था कि लोगों ने जंगलों को काटकर घर, खेत व बगीचे बना लिए हैं और वन विभाग की मिलीभगत से इन्हें बिजली-पानी के कनैक्शन भी मुहैया करवा दिए गए हैं। कोर्ट ने पत्र पर संज्ञान लिया और वन विभाग को समय समय पर जारी आदेशानुसार अवैध बगीचों को काट कर वन भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करवाने के आदेश दिए। इसके पश्चात हाईकोर्ट ने ऐसे मामले देख रहे न्यायालयों को तय समय सीमा के भीतर वन भूमि पर अवैध कब्जों से जुड़े मामलों को निपटाने के आदेश दिए। 


राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवैध कब्जे मामले में डायरैक्टर व डी.सी. सोलन को तलब करने के आदेश 
हाईकोर्ट ने परवाणु से शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग पर गाड़ियों की अव्यवस्थित पार्किंग व अवैध कब्जों की शिकायतों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए इस सड़क मार्ग से जुड़े हाईवे प्रोजैक्ट के डायरैक्टर व डी.सी. सोलन को तलब करने के आदेश जारी किए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने राजमार्ग पर स्थित ढाबों व दुकानों के आसपास गाड़ियों की अव्यवस्थित पार्किंग पर कोई कार्रवाई न करने पर एन.एच.ए.आई. को फटकार भी लगाई। एन.एच.ए.आई. व पुलिस की ओर से उक्त मार्ग पर कभी भी कोई पैट्रोलिंग नहीं की जाती जिस कारण इस सड़क मार्ग पर अनेक गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। कोर्ट ने इन शिकायतों के मद्देनजर उक्त अधिकारियों को कोर्ट में तलब किया है। मामले पर सुनवाई 29 मई को होगी।

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