‘‘पूर्व सरकार का सहयोग होता तो सुलझ जाता गुड़िया मामला’’

Edited By Punjab Kesari, Updated: 01 Feb, 2018 01:33 AM

doll case resolved if former government was supported

प्रदेश के मुख्यमंत्री बुधवार को पंजाब केसरी के परौर (पालमपुर) कार्यालय पहुंचे।

पालमपुर: प्रदेश के मुख्यमंत्री बुधवार को पंजाब केसरी के परौर (पालमपुर) कार्यालय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अखबार के कामकाज का जायजा लिया। उन्होंने प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर बेबाक बातचीत की। इस दौरान उन्होंने राज्य की वित्तीय स्थिति और रूसा प्रणाली जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि एन.जी.टी. के मामलों को सरकार कानूनी तौर पर टेकअप करेगी, साथ ही उन्होंने कहा कि रूसा प्रणाली को पूरी तरह खत्म करना व्यावाहरिक नहीं है।  पेश हैं उनसे बातचीत के कुछ अंश :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रवास के दौरान राज्य की पर्यटन संभावनाओं को विकसित करने पर फोकस करते रहे हैं। आपकी सरकार इस दिशा में कैसे आगे बढ़ रही है? किसी विशेष प्लान पर फोकस किया जा रहा है?
राज्य सरकार पर्यटन संभावनाओं को विकसित करने के लिए गंभीर है और इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली के साथ हुई प्री बजट बैठक में राज्य हित की कई बातों को आगे रखा है। राज्य सरकार सबसे पहले ट्रांसपोर्ट कनैक्टीविटी को दुरुस्त करने पर फोकस  कर रही है। विशेषकर विमान सेवाओं में बढ़ौतरी और हाईवे के निर्माण कार्यों को जल्द पूरा करने की दिशा में जोर दिया जा रहा है। आजादी के बाद ऐसा पहली दफा हुआ है कि राज्य के 69 हाईवेज के निर्माण को एक साथ मंजूरी मिली। राज्य सरकार हवाई अड्डों के विस्तार पर गंभीर है। पूर्व सरकार के दौरान शिमला जैसे पर्यटन स्थल की हवाई सेवाएं 6 साल से बंद रहीं। केंद्र सरकार के प्रयास के बाद ये सेवाएं बहाल हो पाईं। कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तार में आगे क्या किया जा सकता है? इस विषय में भी अधिकारियों के साथ राय-मशविरा चल रहा है। उड़ान योजना का दूसरा फेज शुरू हो गया है और इस फेज में हैली टैक्सी सेवाओं को दुरुस्त करने पर जोर दिया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा देशी व विदेशी पर्यटकों को आकॢषत किया जा सके। इसके अलावा सुरक्षा और पर्यटन की दृष्टि से रेलवे नैटवर्क को भी मजबूत किया जाएगा। केंद्र सरकार ने पूरी मदद का आश्वासन दिया है।

एन.जी.टी. के आदेशों की अनुपालना को लेकर कई पर्यटन कारोबारी और स्थानीय लोग दुविधा में हैं। कुल्लू जैसे पर्यटन स्थलों में कई लोगों को रोजगार का संकट भी पैदा हो गया है। मामलों का समाधान करने के लिए राज्य सरकार कोई कदम उठा रही है?
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) स्वायत्त संस्था है और पर्यावरण परिस्थितियों के तहत ही एन.जी.टी. के आदेश जारी होते हैं जिनकी अनुपालना सरकार का कत्र्तव्य है। सरकार पूर्व में जारी सभी आदेशों को ध्यान में रखे हुए है। पर्यटन कारोबारियों और संबंधित क्षेत्रों के लोगों की आर्थिकी और सुविधाओं को देखते हुए कई मामलों को कानूनी तौर पर ‘टेकअप’ करेगी। इसके अलावा पर्यटन स्थलों को प्रदूषण मुक्त करने और अन्य पर्यावरण सुधारों की दिशा में भी विषय विशेषज्ञों और अधिकारियों से राय-मशविरा चल रहा है। राज्य सरकार जल्द विशेष अभियान शुरू करेगी। 

गुड़िया कांड में सी.बी.आई. जांच में लेटलतीफी की बातें उठ रही हैं। इस संगीन मामले पर राज्य सरकार का स्टैंड क्या है?
सी.बी.आई. देश की सर्वोच्च जांच एजैंसी है। पूर्व सरकार ने पहले दिन से ही अगर सी.बी.आई. को पूरा सहयोग दिया होता तो समय रहते ही यह मामला सुलझ गया होता। इस मामले में दोषी पाए गए व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। राज्य सरकार मामले पर गंभीरता से नजर रखे हुए है। आशा है कि सी.बी.आई. जल्द ही इस मामले की जांच को पूरा कर रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर देगी।

प्रदेश विश्वविद्यालय और कालेजों में रूसा प्रणाली को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बयान थे कि राज्य में भाजपा सरकार बनते ही रूसा प्रणाली को खत्म कर दिया जाएगा। इस दिशा में नई सरकार क्या कदम उठा रही है?
रूसा प्रणाली को पूरी तरह खत्म करना व्यावहारिक नहीं है लेकिन इसके कुछ पहलुओं में सुधार की दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है। सैमेस्टर सिस्टम प्रणाली में सुधार की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। हो सकता है कि आने वाले दिनों में सैमेस्टर प्रणाली को खत्म कर दिया जाए। राज्य के शिक्षा मंत्री रूसा प्रणाली की परेशानियों पर गंंभीरता से नजर रखे हुए हैं। समस्याओं के समाधान की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा जा रहा है। इस मामले में सरकार जल्द ही अंतिम निर्णय पर पहुंचेगी ताकि विद्याॢथयों को हो रही परेशानी को दूर किया जा सके। 

स्वास्थ्य संस्थानों की बदहाली और सड़क हादसों के चलते हर रोज लोगों की जान जा रही है। राज्य के ट्रामा सैंटर भी रैफरल यूनिट बनकर रह गए हैं। अस्पतालों में मूलभूत सुविधाओं के सुधार की दिशा में सरकार कैसे आगे बढ़ रही है? 
राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हर रोज स्वास्थ्य संस्थानों का निरीक्षण कर रहे हैं। अस्पतालों में  मैडीकल स्टाफ, तकनीकी स्टाफ और उपकरणों की कमी का पूरा ब्यौरा तैयार किया जा रहा है। जल्द ही अस्पतालों में डाक्टरों और स्टाफ की कमी को पूरा किया जाएगा। राज्य की एमरजैंसी सेवाओं को लेकर सरकार गंभीर है और जल्द ही राज्य के सभी ट्रामा सैंटरों को आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा ताकि गंभीर दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को समय रहते उपचार मिल सके । पूर्व सरकार ने इन सुविधाओं को सिर्फ वोट बैंक के घेरे में बांधे रखा लेकिन वर्तमान सरकार पूरी तन्मयता से इन सुविधाओं को दुरुस्त करने में लगी है। 

राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में टैली कम्युनिकेशन नैटवर्क बदहाल है। लोगों को फोन सुनने या ‘इंटरनैट सॄफग’ के लिए यहां-वहां दौडऩा पड़ रहा है। दूरसंचार कंपनियां भी गंभीर नहीं दिख रही हैं। इस दिशा में सरकार कैसे आगे बढ़ रही है?
प्रदेश में मोबाइल नैटवर्क का एक्सपैंशन दुर्गम क्षेत्रों तक हो गया है लेकिन नैटवर्क क्वालिटी में कई जगह कमी है। राज्य सरकार ने बी.एस.एन.एल. के अधिकारियों के समक्ष विस्तृत बात रखी है। पंचायत स्तर को ब्रॉडबैंड से जोड़ा जा रहा है। कुछ इलाकों में भौगोलिक दिक्कतें हैं लेकिन इन्हें दूर करने के जल्द प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार जल्द ही अन्य दूरसंचार कंपनियों से भी इस दिशा में विस्तृत बात करेगी ताकि इंटरनैट कनैक्टीविटी को ग्रामीण क्षेत्रों के हर छोर तक पहुंचाया जा सके। सरकार जानती है कि इंटरनैट के इस युग में इन जरूरतों पर फोकस करना बेहद जरूरी है। सुधार के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। 

हिमाचल विधानसभा चुनाव जीते कई हलकों में आजाद विधायकों का विरोध हो रहा है। विशेषकर भाजपा के पदाधिकारी व कार्यकत्र्ता ही इनका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में इन विधानसभा हलकों का विकास कैसे संभव हो पाएगा?
हिमाचल में निर्दलीय विधायकों की संख्या बहुत कम है लेकिन जिन विस हलकों में आजाद विधायक जीते हैं, वे क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार के साथ हैं। इन क्षेत्रों में अगर विरोध हो रहा है तो जल्द ही इसे संगठन के स्तर पर दूर किया जाएगा। राज्य सरकार सभी क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए वचनबद्ध है। किसी भी विधानसभा हलके में विकास कार्यों की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। 

मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए आप हिमाचल के विकास के 3 सपने क्या देखते हैं?
हिमाचल जल्द शिखर पर हो, यह सपना है। इस दिशा में सभी लोग मिलजुल कर प्रयास कर रहे हैं। अधिकारियों व कर्मचारियों का सहयोगात्मक रवैया देखने को मिल रहा है। सरकार को फीडबैक भी अच्छी मिल रही है। पहले की सरकारों की तुलना में हमारे लिए यह प्लस प्वाइंट है। उम्मीद करते हैं कि जल्द ही हिमाचल के वर्क कल्चर में तेजी से सुधार होगा। राज्य के दुर्गम क्षेत्र तक विकास से अछूते नहीं रहेंगे। 

अब आप हिमाचल के शीर्ष पद पर हैं। मुख्यमंत्री बनते ही आपकी निजी जिंदगी में क्या बदलाव आया है? 
मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचते ही एक दायित्व का आभास हुआ है। यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण पद है। शपथ लेते ही प्रदेश के प्रति जिम्मेदारी बढ़ गई है। पहले की तुलना में कहीं अधिक काम करना पड़ रहा है। अब मित्रों को पहले की तरह वक्त नहीं दे पा रहा हूं। 

हिमाचल पर 46,500 करोड़ का कर्ज है। इस कर्ज को उतारने के लिए सरकार का क्या प्लान है। क्या 5 साल की समयावधि में सरकार कर्ज मुक्त हो सकेगी?
करोड़ों का कर्ज हिमाचल के लिए चिंता का विषय है। प्रदेश को कर्ज मुक्त करने के लिए काफी वक्त लगेगा। राज्य सरकार ने केंद्र से यह विषय उठाया है। हिमाचल में पूर्व में दूसरे दल की सरकार होने के बावजूद केंद्र सरकार मदद करती रही है। केंद्र सरकार अगर हिमाचल को समय-समय पर पैसा नहीं देती तो पूर्व सरकार के  कार्यकाल के दौरान ही प्रदेश की ‘ट्रेजरी’ बंद हो जाती। हमारी कोशिश जारी है कि केंद्र आगे भी ‘लिबरल एटीच्यूड’ बनाए रखे। सरकार अपने कार्यकाल में हरसंभव प्रयास करेगी ताकि प्रदेश को जल्द इस स्थिति से बाहर निकाला जा सके। 

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