Edited By Updated: 26 Mar, 2017 12:08 PM
आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने सबसे अधिक पर्यावरण को ही चोट पहुंचाई है।
घुमारवीं: आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने सबसे अधिक पर्यावरण को ही चोट पहुंचाई है। लोगों की सुविधाओं के लिए निर्मित पॉलीथीन आज मानव जाति के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। इसका प्रयोग करने से कई प्रकार की बीमारियां इंसानों में पाई जाती हैं। इसके अलावा पॉलीथीन का कचरा जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड व कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती हैं। बताया जाता है कि हिमाचल पॉलीथीन को बैन करने वाला अग्रणी राज्य है। वर्ष 1999 में सरकार ने कलर पॉलीथीन पर रोक लगा दी थी।
बाहरी राज्यों से फिर आना शुरू हुआ पॉलीथीन
इसके बाद जून, 2004 में सरकार ने पॉलीथीन को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया। इतना ही नहीं, राज्य की न्यायपालिका ने भी इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए दिसम्बर, 2013 में एक ऐतिहासिक फैसले में जनवरी, 2014 के उपरांत जंक फूड आइटम की प्लास्टिक पैकिंग व पाऊच में प्रतिबंधित कर दी। यह अभियान राज्य में सफल रहा लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया बाहरी राज्यों से पॉलीथीन का आना एक बार फिर शुरू हो गया।
बड़े-बड़े पॉलीथीन में भर कर आ रही सब्जियां
आजकल आम देखा जा रहा है कि हिमाचल में बाहरी राज्यों से सब्जियां लाई जाती हैं। इनकी पैकिंग पर अगर नजर डाली जाए तो ये सब्जियां बड़े-बड़े पॉलीथीन के बोरों में भर कर लाई जाती हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि राज्य की सीमाओं पर तैनात प्रशासनिक अमला आखिर क्या कर रहा है, उनकी मर्जी के बिना पॉलीथीन व प्लास्टिक का प्रवेश होना संभव नहीं है। या तो ये लोग आंखें मूंदे बैठे हैं या फिर इनकी सहमति से सारा पॉलीथीन व प्लास्टिक की सीमाओं से अंदर लाया जा रहा है।