Edited By Updated: 01 Dec, 2015 12:27 PM
किसी भी महिला की मां बनने की अनुभूति अलग होती है मगर जब गर्भवती महिला अस्पताल में पहली मंजिल से तीसरी मंजिल को करीब 50 सीढ़ियां चढ़कर हांफते हुए...
हमीरपुर: किसी भी महिला की मां बनने की अनुभूति अलग होती है मगर जब गर्भवती महिला अस्पताल में पहली मंजिल से तीसरी मंजिल को करीब 50 सीढ़ियां चढ़कर हांफते हुए उपचार करवाने पहुंचे और तब तक लंच टाइम हो गया हो तो ऐसी स्थिति में क्या गुजरेगी। बेटियां अनमोल का नारा देने वाली सरकारें शायद बहुओं के लिए अलग ही दृष्टिकोण अपनाए हुए हैं। इसी का परिणाम है कि क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर की व्यवस्थाओं के मकड़जाल में फंसकर गर्भवती महिलाएं टूटने लगी हैं।
गर्भवती होने के पहले माह से ही अस्पताल में आने वाली महिलाओं को बच्चे के लिए कठिन तप करना पड़ रहा है, जिस कारण अब लोग एक ही छत तले गर्भवती महिलाओं के लिए सारे टैस्ट व चैकअप करने की मांग करने लगे हैं, ताकि ऐसी नाजुक स्थिति में कोई अनहोनी न हो। अस्पताल में महिला के गर्भवती होने के तीसरे माह पर्ची बनवाने के लिए पहले सामान्य मरीजों की तरह लाइन में लगना पड़ता है और उसके बाद वहां से करीब 300 मीटर दूर दूसरे भवन में पहली मंजिल पर रूम नं. 611 में गर्भवती महिला को भेजा जाता है, जहां पर चैकअप करने के बाद भी दूसरे भवन के रूम नं. 01 में ब्लड आदि के टैस्ट के लिए भेजा जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में ही रिपोर्ट लेने के लिए एक माह लग ही जाता है।
चैकअप व टैस्ट के लिए पूरे भवन का लगता है चक्कर
रोजाना करीब 150 से ज्यादा गर्भवती महिलाएं अस्पताल में पहुंच रही हैं, जिन्हें अस्पताल के विभिन्न रूम में टैस्ट व चैकअप करवाने के लिए ही पूरे अस्पताल भवन का भ्रमण कर काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है।