आय से अधिक संपत्ति मामला: वीरभद्र ने अदालत से कहा, CBI की FIR गैरकानूनी

Edited By Updated: 28 Sep, 2016 09:18 AM

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आय से अधिक संपत्ति मामले में अन्य लोगों सहित आरोपी हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दावा किया कि...

नई दिल्ली: आय से अधिक संपत्ति मामले में अन्य लोगों सहित आरोपी हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दावा किया कि उनके खिलाफ सी.बी.आई. की प्राथमिकी समय पूर्व है क्योंकि यह आयकर विभाग की कार्रवाई पर आधारित है जो अब भी लंबित है। वीरभद्र ने कहा कि सी.बी.आई. ने जो एफ.आई.आर. दर्ज की है, वह गैर कानूनी है और एफ.आई.आर. पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है।


वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह ने यह तर्क दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष रखा है। वीरभद्र सिंह व प्रतिभा सिंह की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने न्यायमूर्ति विपिन सांघी की पीठ के समक्ष बताया कि पहले इस मामले में कॉमन कॉज नामक संस्था की ओर से दायर याचिका के बाद सी.बी.आई. ने प्रारंभिक जांच के लिए मामला दर्ज किया था। इसके बाद सी.बी.आई. ने खुद अदालत को बताया था कि ऐसा कोई भी सबूत नहीं है, जिससे उनके ग्राहक के खिलाफ कोई मामला बनता हो और मामला बंद कर दिया।


जानकारी के मुताबिक अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष दायर याचिका मामले में सी.बी.आई. द्वारा पेश रिपोर्ट और अदालत के आदेश की प्रतियां भी पेश कीं। उन्होंने कहा कि उनके सबूत के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई भी मामला नहीं बनता और सी.बी.आई. की कार्रवाई गैरकानूनी है। ऐसे में दर्ज प्राथमिकी को रद्द की जानी चाहिए। वहीं आज 28 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी। सी.बी.आई. ने वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह व अन्य पर आय से अधिक व भ्रष्टाचार की धाराओं में मामला दर्ज किया है, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। 


गौरतलब है कि हिमाचल हाईकोर्ट ने सिंह की याचिका पर एक अक्तूबर 2015 को अपने अंतरिम आदेश में उनकी गिरफ्तारी, पूछताछ या अदालत की अनुमति के बिना इस मामले में सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने पर रोक लगा दी थी। बता दें कि सी.बी.आई. ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और अदालत ने इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट में शिफ्ट कर दिया था, लेकिन अंतरिम आदेश बरकरार रखा था। इसके बाद वीरभद्र ने आय से अधिक संपत्ति मामले में अपनी संभावित गिरफ्तारी रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने 6 अप्रैल 2016 को वीरभद्र सिंह को जांच में शामिल होने का निर्देश दिया, लेकिन गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।

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