Edited By Updated: 11 Apr, 2016 11:09 AM

अगर हौसला बुलंद हो, तो शारीरिक अपंगता भी बौनी हो जाती है और कामयाबी कदम चूमने लगती है। ऐसे लोगों के लिए जिंदगी दिन काटने के बजाय लुत्फ लेने का साधन बन जाती है। ऐसा ही कुछ...
मंडी (पुरूषोत्तम शर्मा): अगर हौसला बुलंद हो, तो शारीरिक अपंगता भी बौनी हो जाती है और कामयाबी कदम चूमने लगती है। ऐसे लोगों के लिए जिंदगी दिन काटने के बजाय लुत्फ लेने का साधन बन जाती है। ऐसा ही कुछ मंडी जिले की करसोग उपमंडल के गांव ढिंगड़ु की 16 वर्षीय निशा ने कर दिखाया है।
जानकारी के मुताबिक पिता ज्ञान चंद तथा माता बंती देवी के घर जन्मीं निशा जन्म से ही पोलियो का शिकार हो गई। माता-पिता के भरसक प्रयासों के पश्चात भी निशा को अपंगता से निजा़त नहीं मिल सकी। अंत में उसके माता-पिता प्रदेश सरकार के पास गुहार लेकर गए, तो उसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की शाखा तहसील कल्याण अधिकारी करसोग के कार्यालय से 1100 रुपए प्रति माह की दर से अपंगता राहत भत्ता प्राप्त कर जीने का सहारा मिला।
कुमारी निशा अपंगता के कारण चलने-फिरने में भले ही मजबूर है, लेकिन ईश्वर ने उसे तीव्र बुद्घि का वरदान दिया है। वह बड़े से बड़ा काम करने की हिम्मत रखती है। निशा आज गिनती तथा वर्णमाला के अक्षरों की पहचान रखती है। यह हुनर उसने अपने भाई बहनों के घर में पढ़ाई करते देखकर सीखा है। यही नहीं निशा मोबाइल फोन का नम्बर अपनी जीभा के सहारे मिलाती है तथा अपने रिश्तेदारों व माता पिता का मोबाइल नम्बर भी बता देती है। सामाजिक सुरक्षा पैंशन से उसे आत्मविश्वास हासिल हुआ है। डी.सी. मंडी संदीप कदम का कहना है कि समाज के ऐसे वर्ग के लिए सरकार घरद्वार सुविधाएं जुटा रही है और सामाजिक सुरक्षा पैंशन देकर ऐसे लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास सरकार कर रही है।