Edited By Updated: 09 Nov, 2015 03:08 PM
बेटे को घर का चिराग और बेटी को बोझ मानने वाले मां-बाप यह लेख पढ़ कर हैरान रह जाएंगे। बेटे को ही बुढ़ापे का सहारा मानने...
ज्वालामुखी (कांगड़ा): बेटे को घर का चिराग और बेटी को बोझ मानने वाले मां-बाप यह लेख पढ़ कर हैरान रह जाएंगे। बेटे को ही बुढ़ापे का सहारा मानने वाले समाज पर हिमाचल के कांगड़ा जिले की 14 साल की नेहा के हौसले और पितृ प्रेम ने जोरदार प्रहार किया है। जिस उम्र में इस बच्ची को पढ़ना-लिखना चाहिए उस उम्र में वह परिवार का पेट पाल रही है।
आपको बता दें कि छोटी सी उम्र की नेहा पिछले 3 साल से बीमारी के कारण बिस्तर पर पड़े अपने पिता का सहारा बनी हुई हैं। जो बेटे अपने पिता के परंपरागत पेशे को अपनाने से परहेज कर रहे हैं, उसी पेशे को अपनाकर नेहा अपने पिता का इलाज करवाने के साथ परिवार का पालन पोषण कर रही है। जानकारी के मुताबिक ज्वालाजी मंदिर के मुख्य द्वार पर पिता की भांति नगाड़ा बजाकर नेहा पारिवारिक परंपरा को तो निभा ही रही हैं। साथ ही पिता की बीमारी का इलाज भी करवा रही हैं।
मंदिर में दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालु नेहा के इस हौसले को सलाम कर रहे हैं। वहीं 14 वर्षीय नेहा के लिए यह वक्त पढ़-लिखकर आगे बढ़ने का है, लेकिन पिता की बीमारी के बाद वह अपनी मर्जी से नगाड़ा बजाने के लिए मंदिर में पहुंच गईं। इतना ही नहीं नेहा ने उसी परंपरा को निभाने की ठान ली, जिसे उसके पिता आज दिन तक निभाकर परिवार का पालन पोषण करते आए हैं। बताया जा रहा है कि ज्वालाजी शहर की रहने वाली नेहा के पिता विधि चंद पिछले करीब 3 साल से एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के चलते बिस्तर पर हैं। दरअसल मंदिर में दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु कहते हैं कि मां के दर्शनों से पहले मुख्य द्वार पर कन्या के दर्शन से असीम आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है। बेटी को कोख में ही मारने वालों के मुंह पर यह बड़ा तमाचा है।