Watch Pics: यहां 70 साल से जल रही है ज्योत, वैज्ञानिक भी नहीं जान सके इसका राज

Edited By Updated: 12 Apr, 2016 12:58 PM

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देवभूमि हिमाचल करोड़ों देवी-देवताओं के वास के लिए विख्यात है। आपको बता दें कि हिमाचल के एक मंदिर में सदियों से 9 प्राकृतिक ज्वालाएं जल रही हैं...

कांगड़ा: देवभूमि हिमाचल करोड़ों देवी-देवताओं के वास के लिए विख्यात है। आपको बता दें कि हिमाचल के एक मंदिर में सदियों से 9 प्राकृतिक ज्वालाएं जल रही हैं, इनका रहस्य जानने के लिए पिछले करीब 70 सालों से भू-वैज्ञानिक लगे हुए हैं, लेकिन 9 किलोमीटर खुदाई करने के बाद उन्हें आज तक वह जगह ही नहीं मिली जहां पर प्राकृतिक गैस निकलती हो। उन्हें आज तक इसके बारे में कुछ पता नहीं चल सका। 


क्या है मंदिर की मान्यता
इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से निकलने वाली ज्वालाओं का रहस्य न तो बादशाह अकबर जान पाया था और न ही अंग्रेज। बताया जा रहा है कि ज्वाला देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा शहर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवों को जाता है। खास बात तो यह है कि इसकी गिनती माता के प्रमुख शक्ति पीठों में होती है। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी सती की जीभ गिरी थी। सूत्रों के मुताबिक अाजादी के बाद भूगर्भ वैज्ञानियों ने मंदिर में जल रही ज्वालाओं के राज को जानने का प्रयास किया था लेकिन वह सफल नहीं हुए। 


करीब 70 साल बीत जाने के बाद आज भी मंदिर के आसपास के इलाकों को कई किलोमीटर तक खोदा जा रहा है, लेकिन तेल या नेचुरल गैस का कोई अता-पता नहीं चल पा रहा है। माना जाता है कि ज्वाला मां के इस मंदिर में निकलने वाली ज्वाला चमत्कारिक है। इतिहास इस बात का भी गवाह है कि मुगल सम्राट अकबर लाख कोशिशों के बाद भी इसे बुझा नहीं पाया था। मंदिर में जलती हुई ज्वालाओं को देखकर अकबर के मन में संदेह हुआ था। उसने अपनी सेना को मंदिर में जल रही ज्वालाओं पर पानी डालकर बुझाने को कह दिया था। ज्वालाओं को बुझाने के लिए नहर खुदवाई गई थी, लेकिन यह कोशिश भी उसकी असफल रही थी। 


ये है 9 ज्वालाओं के रूप
यह मंदिर देवी के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है क्योंकि यहां पर किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती है बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही 9 ज्वालाओं की पूजा होती है। जिनके ऊपर ही मंदिर बना दिया गया है। इन 9 ज्योतियों को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है।

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